बाँस की कुर्सियाँ बनाने का बिजनेस । प्रक्रिया, मशीनरी, खर्चा, मुनाफा ।

यदि आप बाँस की कुर्सियों के व्यापार (Bamboo Chair Making Business)  के बारे में नहीं जानते हैं । तो कोई बात नहीं इस लेख के माध्यम से आप इस पर विस्तृत जानकारी प्रदान करने वाले हैं। जैसा की आप भी अच्छी तरह से जानते होंगे की बाँस एक ऐसी घास है जिसका तना पेड़ के तौर पर बड़े कम समय में तीव्र गति से बढ़ता है। यदि बाँस की अच्छी तरह से कलम करके बाँस की खेती की जाय तो इससे उत्पादित लकड़ी से कई तरह की मशीनरी और सामान बनाये जा सकते हैं ।

भारत में बाँस नामक यह घास प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। यही कारण है की वर्तमान में बाँस की लकड़ी से कई तरह के आधुनिक फर्नीचर का निर्माण किया जा रहा है। बाँस में लम्बे समय तक चलने का गुण निहित होता है, और इससे कोई भी सामग्री बनाने के लिए अन्य लकड़ियों की तुलना में कम मेहनत की आवश्यकता होती है।

यही कारण है की बाँस का इस्तेमाल लोग अस्थायी घर बनाने, जिन्हें झोपड़ियाँ कहते हैं बनाने के लिए भी करते हैं। और वर्तमान में हर रिसोर्ट ढाबे इत्यादि में आपको हट बनाई हुई दिख जाएँगी । लेकिन आज का हमारा यह लेख बाँस की कुर्सियाँ बनाने से सम्बंधित है।

बाँस का इस्तेमाल सिर्फ कुर्सियाँ बनाने के लिए नहीं और भी कई तरह के आधुनिक फर्नीचर निर्माण के लिए किया जाने लगा है। क्योंकि इसमें यांत्रिक शक्ति होने के साथ साथ प्रतिकूल मौसम में भी मजबूत रहने की विशेषताएँ विद्यमान होती है । यही कारण है की हाल ही में आधुनिक फर्नीचर का निर्माण करने वाली कुछ कंपनियों ने फर्नीचर बनाने के लिए बाँस की लकड़ी को प्राथमिकता दी है ।

bamboo chair
Image: Bamboo Chairs Manufacturing Business

बाँस के इस्तेमाल और बाज़ार

बाँस और बाँस से निर्मित बेंत मजबूत, टिकाऊ तो होते ही हैं ये पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं। बाँस बहुत ज्यादा मजबूत होता है वह इसलिए क्योंकि फर्नीचर निर्माण में इसका उपयोग किसी फर्नीचर के ढाँचे को बनाने में किया जाता है जबकि बेंत का उपयोग बैठने वाले स्थान पर किया जाता है।

बात जब भारतीय शिल्पकला की आती है तो भारतीय शिल्पकला में बाँस का इस्तेमाल कई तरह की सामग्री बनाने के लिए किया जाता है। बाँस से तरह तरह की टोकरियों से लेकर कृषि गतिविधियों में काम आने वाली अनेकों सामग्री आसानी से बनाई जाती हैं।

बाँस की कई तरह की सामग्रियां बनाने में पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य जैसे मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, असम, अरुणांचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा इत्यादि बहुत प्रसिद्ध हैं। इन राज्यों में रहने वाले आदिवासी लोगों द्वारा बाँस का उपयोग घर बनाने, भोजन खाने, कंटेनर बनाने, फर्नीचर, इत्यादि बनाने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।

चूँकि बाँस में लम्बे समय तक बने रहने का गुण तो होता ही है साथ ही यह वजन में हल्का, और आराम से हैंडल करने के योग्य भी होता है यही कारण है की दक्षिण भारत में भी अब बाँस से निर्मित फर्नीचर का इस्तेमाल बढ़ रहा है।

बाँस की इस लकड़ी से सिर्फ टोकरियों का निर्माण नहीं किया जाता है, बल्कि इससे ट्रे, सीढियाँ, चटाईयां, हाथ के पंखे, परदे, खिलौने, मुरली, वाद्ययंत्र, फर्नीचर  इत्यादि कई तरह की सामग्रियां तैयार की जाती हैं। जहाँ तक फर्नीचर की बात है इसमें बाँस से निर्मित कुर्सियाँ, सोफे इत्यादि काफी प्रसिद्ध हैं।

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बाँस की कुर्सी बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें (How to Start Bamboo Chair Making Business in India):

हालांकि बाँस की कुर्सियाँ बनाने का बिजनेस आज भी लोगों द्वारा कुटीर उद्योग के तौर पर मैन्युअली ढंग से किया जा रहा है। जिसका नुकसान यह हो रहा है की एक ही कुर्सी बनाने में कारीगर को काफी समय लग जा रहा है। ऐसे में यदि आप भी बाँस की कुर्सी बनाने का बिजनेस मैन्युअल तरीके से करेंगे, तो इस तरह की कुर्सियों को बनाने में आने लागत बधुत ज्यादा बह जाएगी।

यही कारण है की आगे इस लेख में हम यही जानने का प्रयास कर रहे हैं की यदि कोई उद्यमी बाँस की कुर्सियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करना चाहता है तो वह प्रॉपर तरीके से इसे कैसे शुरू कर सकता है।

व्यापार की योजना तैयार करें

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की बाँस की कुर्सियाँ बनाने में भी अधिकतर वे हस्तशिल्प कारीगर जुड़े हुए हैं। लेकिन वे इस तरह के बिजनेस को शुरू करके ज्यादा मुनाफा इसलिए नहीं कमा पा रहे हैं क्योंकि मैन्युअल तरीके से कुर्सियों का निर्माण करने में कुर्सियों की लागत बढ़ जाती है।

इसलिए यदि आप स्वयं यह बिजनेस शुरू करने का विचार कर रहे हैं तो आपको अपने व्यापार की एक योजना तैयार करनी होगी। इस योजना में मार्किट रिसर्च से लेकर, कच्चे माल की उपलब्धता और बाज़ार में विद्यमान प्रतिस्पर्धा और अवसर दोनों का लिखित विश्लेषण होना चाहिए।

यही नहीं यह दस्तावेज बिजनेस की वित्तीय रिपोर्ट भी पेश करेगा जिसमें परियोजना को शुरू करने में आने वाली कुल लागत और कुछ वर्षों के लिए प्रस्तावित अनुमानित कमाई भी शामिल होगी।      

व्यापार के लिए पैसों का प्रबंध करें

व्यापार की योजना तैयार करने के बाद उद्यमी का अगला कदम उस योजना में शामिल वित्तीय रिपोर्ट के हिसाब से आने वाली लागत का प्रबंध करने का होता है। यद्यपि परियोजना को शुरू करने में आने वाली लागत परियोजना के स्तर और उत्पादन क्षमता पर निर्भर करती है, लेकिन एक ऐसा प्लांट जिसमें दिन में १० घंटे काम करके पहले वर्ष से ही लगभग 100 बाँस की कुर्सियों का उत्पादन किया जाता हो, को शुरू करने में ₹17-18 लाख का निवेश अपेक्षित है ।

लेकिन यह पूरी तरह से उद्यमी की व्यापार योजना पर निर्भर करता है, की वह शुरुआत में किस उत्पादन क्षमता के साथ अपने बिजनेस को शुरू करना चाहता है। वह जितनी कम उत्पादन क्षमता के साथ इसे शुरू करना चाहेगा, इस बिजनेस को शुरू करने में आने वाली लागत उतनी ही कम होती जाएगी।

पैसों का प्रबंध करने के अनेकों तरीके जैसे अपनी बचत के पैसों से प्रबंध, नाते, रिश्तेदारों, दोस्तों इत्यादि से पैसों का प्रबंध, बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से पैसों का प्रबंध, किसी सरकारी योजना के तहत सब्सिडी ऋण लेकर पैसों का प्रबंध, एंजेल इन्वेस्टर, क्राउड फंडिंग इत्यादि माध्यमों से पैसों का प्रबंध करना शामिल है।  

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फैक्ट्री स्थापित करने के लिए जगह का प्रबंध करें

जब आप एक फैक्ट्री स्थापित करते हैं तो उसी परिसर में आपको स्टोर रूम, कच्चे माल के लिए अलग उत्पादित माल के लिए अलग, विनिर्माण एरिया, सिक्यूरिटी रूम, विद्युत् उपकरणों के लिए रूम, ऑफिस एरिया इत्यादि की आवश्यकता होती है । यही कारण है की बाँस की कुर्सियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए भी आपको कम से कम 1600 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।

लेकिन अच्छी बात यह है की यह बिजनेस न तो किसी प्रकार का पोल्यूशन जनरेट करता है, और न ही बाँस प्रकृति के लिए कोई खतरा है, इसलिए इस बिजनेस को आप कहीं से भी जहाँ सड़क, बिजली, पानी इत्यादि की व्यवस्था हो।

और उस जगह का किराया या लीज बहुत ज्यादा महंगी भी न हो, वहीँ पर इस तरह का यह बिजनेस शुरू कर सकते हैं। फिर भी एक सस्ती सी जगह पर भी हम महीने का ₹20 हज़ार का किराया मान के चल सकते हैं। हालांकि उद्यमी चाहे तो इससे भी कम किराये पर भी जमीन या बिल्डिंग किराये पर ले सकता है।  

जरुरी लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करें

भारत में किसी भी व्यवसाय को वैधानिक रूप से संचालित करने के लिए कई तरह के लाइसेंस और पंजीकरण की आवश्यकता होती है। लेकिन जहाँ तक बात बाँस की कुर्सियाँ बनाने के बिजनेस की है वर्तमान में इस तरह की कुर्सियाँ असंगठित क्षेत्रों द्वारा बनाई जा रही है ।

लेकिन यदि आप इस तरह के बिजनेस (Bamboo Chair Making Business) को दीर्घ काल को ध्यान में रखकर शुरू कर रहे हैं, तो आपको निम्नलिखित लाइसेंस और पंजीकरण करा लेने चाहिए।

  • उद्यमी चाहे तो अपने बिजनेस को प्रोप्राइटरशिप फर्म या फिर वन पर्सन कंपनी के तौर पर रजिस्टर कर सकता है।
  • अपने व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड और बैंक में चालू खाता खुलवा सकता है।
  • टैक्स रजिस्ट्रेशन के तौर पर स्वैच्छिक जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा सकता है।
  • स्थानीय प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकता है।
  • अपनी इकाई को फैक्ट्री अधिनियम के तहत रजिस्टर करा सकता है।
  • एमएसएमई योजनाओं का फायदा लेने के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन करा सकता है।         
  • बाँस जल्दी आग पकड़ने वाली लकड़ी है इसलिए फायर डिपार्टमेंट से एनओसी की आवश्यकता हो सकती है।
  • स्थानीय पर्यावरण विभाग से भी एनओसी की आवश्यकता हो सकती है।  

मशीनरी और कच्चा माल खरीदें

हालांकि बाँस की कुर्सियाँ बनाने का काम शिल्प कारीगरों द्वारा काफी पहले से किया जा रहा है। लेकिन कारीगर इनका निर्माण कुछ हाथ से चलने वाले टूल की मदद से करते हैं, जिससे एक कुर्सी बनाने में ही उन्हें बहुत अधिक समय लग जाता है । यदि उद्यमी चाहता है की वह एक दिन में 100-150 कुर्सियों का निर्माण कर पाए तो उसे निम्न मशीनरी और उपकरणों की आवश्यकता हो सकती है।

  • बैंड सॉ मशीन जिसकी कीमत लगभग ₹3 लाख रूपये हो सकती है ।
  • बड़ी ड्रिल मशीन जिसकी कीमत लगभग ₹50 हज़ार हो सकती है ।
  • लगभग १० चिप कार्विंग नाइफ चाहिए हो सकते हैं जिनकी कुल कीमत ₹1500 हो सकती है।
  • लगभग १० कारपेंटर द्वारा इस्तेमक की जाने वाली छेनी चाहिए हो सकती हैं जिनकी कीमत ₹2500 हो सकती है।
  • लगभग १० यू- गॉज (U- gouges) जो एक छोटा सा टूल होता है और इनकी कीमत लगभग ₹2000 हो सकती है।  
  • लगभग १० वी- गॉज (V- gouges) जो एक छोटा सा टूल होता है और इनकी कीमत लगभग ₹2000 हो सकती है। 
  • लगभग १० स्पून- गॉज (Spoon- gouges) जो एक छोटा सा टूल होता है और इनकी कीमत लगभग ₹3000 हो सकती है।
  • लगभग १० पाम टूल्स (Palm- Tools) जो एक छोटा सा टूल होता है और इनकी कीमत लगभग ₹3500 हो सकती है।
  • कारपेंटर द्वारा इस्तेमाल में लायी जाने वाली बड़ी आरी जिसकी कीमत ₹10000 हो सकती है।

इस बिजनेस को शुरू करने वाले उद्यमी को लगभग ₹374500 मशीनरी और उपकरणों पर खर्चा करने की आवश्यकता होती है। इस बिजनेस में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख कच्चे माल की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • बाँस
  • छड़ी/बेंत
  • मोटी बेंत
  • पटरी
  • गोला
  • चिपकाने वाला पदार्थ
  • कील, धागा इत्यादि  

श्रमिकों की नियुक्ति करें

बाँस की कुर्सियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को कई तरह के कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता होती है। कहने का आशय यह है की इस बिजनेस को ढंग से संचालित करने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।

  • उद्यमी को कम से कम दो मशीन ऑपरेटर नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • कम से कम चार हेल्पर की आवश्यकता हो सकती है।
  • कम से कम तीन कुशल और अकुशल श्रमिकों को काम पर रखने की आवश्यकता हो सकती है।
  • एक अकाउंटेंट और एक सेल्समेन रखने की आवश्यकता हो सकती है ।  

इस तरह से देखें तो इस स्तर पर बाँस की कुर्सियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को कम से कम 11-12 कर्मचारियों को काम पर रखने की जरुरत होती है।    

बाँस की कुर्सियों का निर्माण शुरू करें

उपर्युक्त बताई गई मशीनरी और कच्चे माल से बाँस की कुर्सियाँ बनाने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है। लेकिन फिर भी हम यहाँ पर इसकी विनिर्माण प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण नीचे प्रदान कर रहे हैं।

  • बाँस और अन्य कच्चे माल को सम्बंधित बाज़ार से खरीद लिया जाता है ।
  • उसके बाद लम्बे बाँस को जरुरत के साइज़ में काट लिया जाता है।
  • उसके बाद इस बाँस को लगभग २ घंटे तक पानी में नमी शोखने के लिए रख दिया जाता है।
  • उसके बाद बाँस की पट्टियों को एक लैंप के ऊपर रखकर गरम किया जाता है, ताकि इन्हें आसानी से मोड़ा जा सके ।
  • उसके बाद इन्हें एक लकड़ी से निर्मित टूल जिसे मुंगरी कहा जाता है का इस्तेमाल करके आकार प्रदान किया जाता है ।
  • उसके बाद कुर्सी के कई सारे हिस्सों को एक साथ जोड़ने का काम किया जाता है।
  • कुर्सी के कोनों कोनों में कील और चिपकाने वाले पदार्थ का इस्तेमाल करके इसे बढ़िया बनाया जाता है।
  • उसके बाद जब बाँस की कुर्सी बनकर तैयार हो जाती है तो इसे रेगमाल से रगड़कर, पोलिश कर दिया जाता है ।   

बाँस की कुर्सी बनाने का बिजनेस शुरू करने में खर्चा

यद्यपि इस बिजनेस को कम पैसों में शुरू किया जा सकता है, लेकिन उस स्थिति में उद्यमी दिन में 100-150 बाँस की कुर्सियों का निर्माण नहीं कर पाएगा।  बल्कि जितनी भी कुर्सियों का निर्माण करेगा, उनकी लागत ही इतनी आ जाएगी की वह उन कुर्सियों को बाज़ार में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर नहीं बेच पाएगा। इसलिए बाँस की कुर्सियाँ बनाने का औसतन प्लांट शुरू करने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित खर्चे करने की आवश्यकता हो सकती है।   

  • मशीनरी और उपकरणों को खरीदने में आने वाला अनुमानित खर्चा ₹374500 है।
  • 20 हज़ार प्रति महीने के हिसाब से दो महीने का किराया ₹40 हज़ार को शुरूआती लागत में शामिल कर सकते हैं ।
  • फर्नीचर फिक्सिंग इत्यादि में आने वाला खर्चा ₹2 लाख मान लेते हैं ।
  • बाकी सब कार्यकारी लागत जैसे कच्चा माल, सैलरी, बिल्स इत्यादि का खर्चा ₹5 लाख मान लेते हैं।  

अब आप देखेंगे तो आप पाएंगे की बाँस की कुर्सी बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए भी आपको लगभग ₹1114500 खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है। समय और कीमतों उतार चढ़ाव के चलते इस लागत में भी उतार चढ़ाव आना स्वाभाविक है।  

FAQ (सवाल/जवाब)

बाँस की कुर्सी बनाने का बिजनेस कहाँ शुरू करना चाहिए?

एक ऐसा एरिया जहाँ पर बाँस का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता हो, वहां पर कच्चा माल उचित दामों में मिल जाएगा ऐसे में आप चाहें तो ऐसे एरिया में इस बिजनेस को शुरू कर सकते हैं ।

बाँस की कुर्सी कौन कौन खरीदता है?

वर्तमान में बाँस की कुर्सी का इस्तेमाल आधुनिक फर्नीचर के तौर पर किया जाता है। इसलिए घरों, ढाबों, रिसोर्ट इत्यादि में इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है ।

बाँस की कुर्सी बनाने का बिजनेस से मुनाफा

इस बिजनेस से होने वाली कमाई पूरी तरह इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी कितनी लागत में कुर्सी का उत्पादन कर पा रहा है। यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की कोई भी ग्राहक आपकी बाँस की कुर्सी के लिए मार्किट में उपलब्ध अन्य बाँस की कुर्सियों से ज्यादा कीमत तभी दे पाएगा जब उसे लगेगा की आपके द्वारा बनाई गई कुर्सी, गुणवत्ता या डिजाईन इत्यादि के हिसाब से कुछ अलग है।

ऐसे में उद्यमी की कोशिश यही होनी चाहिए की वह मार्किट में उपलब्ध कुर्सियों की कीमत के मुकाबले अपनी कुर्सी को बनाने में आने वाली लागत को कम ही रखे। इस बिजनेस (Bamboo Chair Making Business) से उद्यमी उत्पादन के प्रथम वर्ष में ही ₹3.5 लाख तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकता है।

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