सरकारी शराब का ठेका कैसे खोलें? नियम, लाइसेंस सहित पूरी जानकारी

Liquor Shop Business Plan in Hindi:  कहते हैं की शराब का ठेका आप कहीं भी खोल दें, फिर भी आपको ग्राहकों की कोई कमी नहीं होगी। और इस बात में सच्चाई भी है क्योंकि, वर्तमान तनावपूर्ण जीवनशैली में लोगों को जो सबसे अच्छा रास्ता तनाव कम करने का नजर आता है, वह है शराब पीना।

लेकिन क्या शराब पीने से वाकई में तनाव कम होता है? हो सकता है कुछ क्षणिक यानिकी कुछ पलों के लिए ऐसा होता हो। लेकिन शराब की बोतल में भी साफ एवं स्पष्ट शब्दों में अंकित होता है की यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। लेकिन इसके बावजूद भी लोग इसे पीना पसंद करते हैं।

यही कारण है की बड़े बड़े शहरों से लेकर छोटे छोटे नगरों तक सरकारी शराब के ठेके लाखों करोड़ों की आमदनी करते हैं। यद्यपि किस राज्य में शराब बेची जा सकती है या नहीं, यह राज्य सरकार ही निर्धारित करती है । और राज्य सरकार इसके लिए अलग सी एक आबकारी निति तैयार करती है।

भारत में कई राज्य ऐसे हैं जहाँ शराब बेचना एवं खरीदना वर्जित है, इनमें गुजरात और बिहार प्रमुख हैं। इसका मतलब यह हुआ की जिन राज्यों में शराब बेचना एवं खरीदना गैरक़ानूनी है। वहाँ पर सरकारी शराब के ठेकों का भी कोई अस्तित्व नहीं है।

Wine shop
Sharab Ki dukan

लेकिन भारत के अधिकतर राज्यों में शराब बेचने एवं खरीदने के लिए राज्य की अपनी आबकारी निति बनी हुई है। इसी आबकारी निति के मुताबिक ही राज्य सरकार सरकारी शराब के ठेकों के लिए टेंडर इत्यादि जारी करके इन्हें किसी व्यक्ति या कंपनी को प्रदान करती है।

यदि लोकेशन अच्छी है तो शराब का ठेका खोलकर उद्यमी की अंधाधुंध कमाई हो सकती है। यही कारण है की सरकारी ठेकों को प्राप्त करने की हमेशा होड़ लगी रहती है। और माना यह जाता है की जिन लोगों के पास पैसे निवेश करने के अलावा शाषन, प्रशाशन में जान पहचान होती है। उन्हें सरकारी शराब के ठेके आसानी से मिल जाते हैं।

लेकिन अब धीरे धीरे राज्य सरकारों द्वारा सरकारी टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा रहा है। जिससे सिर्फ उन्हीं लोगों को सरकारी टेंडर प्राप्त हों, जो वाकई में उसके लिए पात्र हों। यही कारण है की आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से सरकारी शराब का ठेका खोलने की प्रक्रिया के बारे में जानने का प्रयत्न कर रहे हैं।

क्या सच में शराब का ठेका खोलना फायदेमंद है?   

यह बात तो सभी जानते हैं की शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। और यह बात शराब की बोतलों पर लिखी भी होती है, शायद यही कारण है की कुछ राज्यों में मदिरा पूरी तरह से प्रतिबंधित है। शराब के सेवन की आदत न सिर्फ स्वास्थ्य पर विपरीत असर दिखाती है, बल्कि व्यक्ति को आर्थिक रूप से भी कमजोर कर देती है।

सिर्फ यही नहीं शराब के नशे में लोगों द्वारा कई तरह के अपराधों को भी अंजाम दे दिया जाता है। बढती सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण मदिरा पीकर ड्राइविंग करना भी बताया जाता है। कहने का आशय यह है की शराब में इतनी बुराइयाँ हैं की इनका बखान करते करते ही यह आर्टिकल पूरा हो सकता है।

लेकिन इसके बावजूद भी शराब के ठेकों पर जोरदार भीड़ देखी जा सकती है। यद्यपि मदिरा का इतिहास काफी पुराना है, उस समय राजा महाराजा भी कई मौकों पर इसका सेवन करते थे। लेकिन तब की मदिरा में किसी तरह के रसायनों इत्यादि का इस्तेमाल नहीं किया जाता था।

वर्तमान परिदृश्य भारत में मदिरा का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में तीव्र वृद्धि हुई है। जहाँ पहले उम्र में छोटे लोग अपने बड़ों के सामने मदिरा इत्यादि का सेवन करने से डरते थे। वर्तमान में खुद पिता पुत्र के लिए पैग बनाते हुए देखा जा सकता है ।

सरकारी शराब का ठेका आप चाहे मुख्य बाज़ार से कहीं दूर ही खोलकर क्यों न बैठ जाएँ। यदि उस एरिया में कोई अन्य ठेका न हुआ तो फिर आपका वह ठेका भी अवश्य चलेगा। शराब पीने वाले ठेके को ढूंढते ढूंढते खुद आपके पास आएँगे। इन सभी बातों पर यदि आप गौर करेंगे तो निष्कर्ष यही आएगा की सरकारी शराब का ठेका खोलना कमाई की दृष्टी से काफी फायदेमंद हो सकता है।

शराब का ठेका खोलने से पहले किन बातों का ध्यान रखें

Wine Shop Business Plan in Hindi : शराब का ठेका खोलने से पहले उद्यमी को कई बातों का ध्यान रखना होता है । चूँकि यह एक ऐसा बिजनेस है जिसमें जोखिम न के बराबर है। यही कारण है की शराब के ठेकों को पाने के लिए लोगों में होड़ मची रहती है।

हर राज्य की अपनी आबकारी निति होती है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा समय समय पर बदलाव किया जाता है। कुछ और बातें हैं, जिन पर इस तरह का बिजनेस शुरू करने से पहले विचार किया जाना जरुरी हो जाता है। 

  1. जिस राज्य में आप अपना दारू का ठेका शुरू करना चाहते हैं, उस राज्य की आबकारी निति और अन्य नियमों के बारे में जानकारी अवश्य रखें।
  2. कुछ राज्य सरकारें शहीद सैनिकों के परिवारों, दिव्यांगो, आर्थिक/सामाजिक रूप से पिछड़ा वर्ग इत्यादि  को इस प्रक्रिया में आरक्षण प्रदान करते हैं। यदि आप उपर्युक्त बताई गई श्रेणी में से कोई हैं, तो आपको इस बारे में जानकारी अवश्य जुटानी चाहिए।
  3. राज्य सरकार द्वारा टेंडर फीस के अलावा सिक्यूरिटी अमाउंट इत्यादि भी निर्धारित हो सकता है। इसलिए एक छोटे नगर में भी शराब का ठेका खोलने में 30-35 लाख रूपये का खर्चा आ सकता है। इसलिए आपको बड़े निवेश के लिए अपने आपको तैयार रखने की आवश्यकता होती है।
  4. ध्यान रहे यदि कोई दलाल या व्यक्ति आपको ठेका दिलाने का झांसा देता है, तो उसके झांसे में न फंसे। हो सकता है वह आपको ठगने के लिए यह सब कुछ कर रहा हो ।
  5. अधिकतर राज्य सरकारों की आबकारी निति के अनुसार सरकारी शराब के ठेकों का वितरण टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से ही किया जाता है। इसलिए केवल सम्बंधित राज्य की अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ही टेंडर प्रक्रिया को पूर्ण करें।
  6. आर्थिक रूप से भले ही शराब का बिजनेस बेहद फायदेमंद हो सकता है, लेकिन समाज में शराब की अच्छी छवि नहीं है। इसलिए आपको शराब कारोबारी के नाम से भी लोग जान सकते हैं, जिससे आपको हँसते खेलते सहन करने की क्षमता होनी चाहिए।
  7. एक बात और कभी कभी शराब का मुद्दा किसी एरिया विशेष या राज्य में इतना गरमा सकता है, की राज्य सरकार को शराब की दुकानों को सिमित या किसी एरिया विशेष से उसे हटाना पड़ सकता है। इसमें आपका ठेका भी शामिल हो सकता है, इसलिए इस स्थिति के लिए भी आपको मानसिक तौर पर पहले ही तैयार रहने की आवश्यकता होती है।      

सरकारी शराब के ठेकों के प्रकार (Types of Liquor Shop in India):

राज्य सरकार अपनी आबकारी निति के तहत किस किस प्रकार के शराब के ठेकों के लिए लाइसेंस एवं टेंडर जारी करती है, इसका जिक्र करना भी बेहद जरुरी हो जाता है। क्योंकि अधिकतर राज्यों में अलग अलग प्रकार के ठेकों के लिए अलग अलग लाइसेंस एवं टेंडर जारी किये जाते हैं।

अंग्रेजी शराब के ठेके

राज्य सरकार द्वारा इस श्रेणी के तहत सेल्क्ट किये गए उद्यमी को एक एरिया विशेष में अंग्रेजी दारू खरीदने एवं बेचने की अनुमति प्रदान की जाती है। यानिकी यदि आपने अंग्रेजी शराब का ठेका खोलने के लिए टेंडर भरा और आपका चयन हो गया, तो आप उस एरिया जिस एरिया के लिए अपने टेंडर भरा हो, वहाँ पर अंग्रेजी शराब खरीदकर बेच सकते हैं।

इस तरह की ये दुकानें बंद रहती हैं, जहाँ से ग्राहक लेन देन करते हैं वहां पर लोहे की जाली लगी होती है। और इनका मुख्य द्वार हमेशा बंद रहता है, ताकि कोई अनधिकृत व्यक्ति ठेके के अन्दर प्रवेश न कर पाए। और आम तौर पर इस तरह के ठेकों से ग्राहक अंग्रेजी शराब और बियर खरीद सकते हैं।

देशी शराब के ठेके

यद्यपि अधिकतर राज्य सरकारों की आबकारी निति में देशी शराब के ठेकों को अंग्रेजी शराब के ठेकों के नज़दीक ही खोलने का प्रावधान है। जिसकी झलक हमें वास्तविक दुनिया में भी दिखाई देती है। आम तौर पर अंग्रेजी दारू के ठेकों के नज़दीक देशी दारू का ठेका भी दिखाई देता है।

इस श्रेणी के तहत राज्य सरकार द्वारा चयनित एरिया में केवल और केवल देशी शराब बेचने की अनुमति दी जाती है। और यह देशी शराब का ब्रांड इत्यादि हर राज्य में अलग अलग होता है। जहाँ तक देशी ठेके के ढाँचे की बात है यह भी अंग्रेजी ठेके जैसा ही होता है।

दारू बेचने के लिए मॉडल शॉप

बड़े बड़े महानगरों, शहरों में जहाँ रहने वाले लोगों की आय तुलनात्मक रूप से अधिक है। वहाँ पर राज्य सरकार द्वारा शराब के मॉडल शॉप खोलने की भी अनुमति प्रदान की जाती है। इन मॉडल शॉप को हर तरफ से सीसीटीवी कैमरों से कवर किया जाता है। वह इसलिए क्योंकि यहाँ पर कोई भी ग्राहक जो दारू खरीदना चाहता हो, अन्दर घुस सकता है।

और अपनी मनपसंद दारू का चयन करके उसे काउंटर पर दिखाकर बिल का भुगतान करके बाहर निकल सकता है। यहाँ पर ग्राहकों को दुकान के अन्दर जाने और अपनी मनपसंद की दारू का चयन करने की खुली छूट होती है।  

शराब के ठेके खोलने के नियम (Rules to open Liquor Shop):  

Sharab Ki Dukan Kaise Khole : चूँकि सरकारी शराब के ठेकों का संचालन एवं नियंत्रण राज्य के आबकारी नीति के तहत आबकारी विभाग द्वारा किया जाता है। इसलिए अलग अलग राज्यों में इस सम्बन्ध में अलग अलग नियम हो सकते हैं। कहने का आशय यह है की शराब के ठेके खोलने सम्बन्धी कोई निश्चित नियम निर्धारित नहीं है।

बल्कि यह प्रत्येक राज्य में अलग अलग हो सकते हैं। लेकिन यहाँ पर कुछ हम ऐसे नियमों की जानकारी दे रहे हैं, जिनका अनुसरण अधिकतर राज्यों में किया जाता है।

  • अधिकतर राज्यों में शराब के ठेकों का वितरण टेंडर प्रणाली के माध्यम से किया जाता है। और इस टेंडर में कोई भी पात्र और इच्छुक उम्मीदवार हिस्सा ले सकता है।
  • कुछ राज्यों में शहीद सैनिकों के परिवार, स्वतंत्रता सेनानियों, सामाजिक/आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • राज्य के आबकारी विभाग द्वारा दारू के वितरण, बिक्री और खपत को नियंत्रित किया जाता है।
  • किसी भी प्रकार का सरकारी शराब का ठेका खोलने के लिए राज्य के आबकारी विभाग द्वारा जारी किया गया लाइसेंस की आवश्यकता होती है।
  • हर राज्य में दारू के लिए कम से कम उम्र निर्धारित है, बहुत सारे राज्यों में यह 18 वर्ष तो कई राज्यों में 21 और 25 वर्ष भी है । सम्बंधित राज्य में जो भी न्युनतम उम्र निर्धारित हो उससे कम उम्र वालों को दारू बेचना कानूनन अपराध है।
  • राज्य सरकार द्वारा उस राज्य में उपलब्ध लाइसेंस कोटे के अनुसार राज्य में स्थित दारु के ठेकों की संख्या को कभी भी सिमित किया जा सकता है।    

आबकारी विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले लाइसेंस

 राज्य के आबकारी विभाग द्वारा जारी किये जाने वाले लाइसेंस को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।

ऑन साईट लाइसेंस

यद्यपि यहाँ पर बात सरकारी ठेकों की हो रही थी, लेकिन ठेकों के अलावा कई अन्य स्थान भी होते हैं। जहाँ लोग बैठकर दारु पीते हैं, इनमें बार एवं रेस्टोरंट, होटल अहाते इत्यादि शामिल हैं। कुछ होटल रेस्टोरेंट तो ऐसे होते हैं, जो बिना लाइसेंस प्राप्त किये ही अपने ग्राहकों को अपने वहाँ दारु पीने की अनुमति देते हैं।

लेकिन आबकारी विभाग द्वारा इन्हें लाइसेंस भी प्रदान किया जाता है । कहने का आशय यह है की ऑन साईट लाइसेंस बार एवं रेस्टोरेंट, अहाते एवं होटलों को प्रदान किया जाता है। यह लाइसेंस उन्हें अपने परिसर में अपने ग्राहकों को दारू बेचने और पिलाने की अनुमति प्रदान करता है।

ऑफ साईट लाइसेंस  

आम तौर पर इस तरह का यह लाइसेंस सिर्फ उन्हें प्रदान किया जाता है, जो दारू बेचते हैं। और अपने परिसर में दारु पिलाते नहीं है । सरकारी शराब के ठेकों, दुकानों, मॉडल शॉप इत्यादि को ऑफ साईट लाइसेंस ही प्रदान किया जाता है।

सरकारी शराब का ठेका खोलने के लिए आवेदन कैसे करें

Sarkari Sharab ka Theka Kaise Khole : यदि आप अपना खुद का सरकारी शराब का ठेका खोलने के प्रति गंभीर हैं, तो सबसे पहले आप जिस राज्य में यह काम करना चाहते हैं। उसकी आबकारी निति के बारे में जानने का प्रयत्न करें। हालांकि प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा हर नए वित्तीय वर्ष के लिए नए टेंडर जारी किये जाते हैं।

इस तरह से देखें तो आपको अप्रैल से मार्च तक एक साल के लिए ही किसी सरकारी ठेके का स्वामित्व प्राप्त हो सकता है। उसके बाद आप चाहें तो दुबारा टेंडर और लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन कुछ राज्यों में एक व्यक्ति को केवल एक साल के लिए ही इसका स्वामित्व मिलने का प्रावधान है।

तो चलिए जानते हैं की आप दारु का ठेका खोलने के लिए आवेदन कैसे कर सकते हैं।

अपनी पात्रता चेक करें

जैसा की हमने पहले भी बताया हुआ है की शराब का ठेका खोलने के लिए आपको एक अच्छी खासी  धनराशी की आवश्यकता होती है। यद्यपि यह धनराशि शहर एवं लोकेशन के आधार पर अलग अलग हो सकती है। लेकिन औसतन इस तरह का बिजनेस करने के लिए उद्यमी को 35-50 लाख रूपये आवश्यकता हो सकती है। जिसमें लाइसेंसिंग शुल्क एवं सिक्यूरिटी डिपाजिट शामिल नहीं है।

आम तौर पर राज्य सरकारों द्वारा जब किसी नई लोकेशन पर कोई शराब का ठेका खोलना होता है, या पुरानी लोकेशन पर नए टेंडर जारी करने होते हैं। तो वह उस राज्य एवं एरिया के प्रमुख समाचार पत्रों में इसकी विज्ञप्ति छपवाते हैं, जिसमें ठेके की लोकेशन, लाइसेंस फीस, धरोहर राशि इत्यादि सभी का पूरा ब्यौरा होता है। 

यही कारण है की उद्यमी को सबसे पहले इसी बात का आकलन करना होगा, की क्या उसके पास इतना पैसा है की वह इस तरह के बिजनेस में निवेश कर सके। इसके अलावा आप चाहें तो प्राथमिकता सम्बन्धी नियमों का भी आकलन कर सकते हैं।   

आवश्यक दस्तावेजों को तैयार करें

टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए अधिकतर राज्यों में इसकी आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। इस स्थिति में दारू का ठेका खोलने के लिए आवेदन करने हेतु आपको अनेकों दस्तावेजों की आवश्यकता हो सकती है। इनमें से कुछ दस्तावेजों की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • बिजनेस करने का अनुभव ज्ञात करने के लिए अनुभव प्रमाण पत्र की आवश्यकता हो सकती है।
  • डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट ऑनलाइन आवेदन करने के लिए जरुरी होता है।
  • आवेदनकर्ता के करैक्टर सर्टिफिकेट की भी आवश्यकता हो सकती है।
  • पिछले तीन सालों का फाइल किया हुआ आईटीआर सम्बन्धी दस्तावेज।
  • हैसियत का पता लगाने के लिए हैसियत प्रमाण पत्र।
  • उम्मीदवार का पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ।  
  • सभी डिटेल्स भरा हुआ, आवेदन पत्र।    

अधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से टेंडर भरें

Liquor Shop Business in Hindi : ध्यान रहे शराब का ठेका दिलाने के नाम पर ठग आपसे ठगी भी कर सकते हैं । इसलिए जब भी आप किसी अख़बार में दारू के ठेके की विज्ञप्ति देखें तो उसमें दिए गए अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ही उसके लिए आवेदन करें। न की किसी जालसाज की जालसाजी में फँसकर अपना नुकसान कराएँ । अलग अलग राज्यों की आबकारी विभाग की वेबसाइट अलग अलग होती है।

आबकारी विभाग के अलावा हो सकता है की किसी राज्य ने मादक एवं नशे सम्बन्धी पेय एवं वस्तुओं पर नियंत्रण के लिए अलग सा कोई विभाग बनाया हो, या नियुक्त किया हो। मान लीजिये की आप उत्तर प्रदेश में शराब का ठेका खोलना चाहते हैं तो राज्य की आबकारी विभाग की वेबसाइट पर जाने के लिए आप ‘’Excise Department in UP’’ गूगल में भी टाइप कर सकते हैं।

उसके बाद जो .gov के साथ रिजल्ट आएगा उस पर क्लिक करके आगे बढ़ सकते हैं । यही काम आप अन्य राज्यों की आबकारी विभाग की अधिकारिक वेबसाइट पर जाने के लिए भी कर सकते हैं। दगाबाजी से बचने के लिए सबसे बेहतर तरीका यह की, राज्य सरकार ने विज्ञप्ति में जिस वेबसाइट के माध्यम से आवेदन करने के लिए कहा हो, उसी से करें।

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