काँच की चूड़ियाँ बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें। Glass Bangles Making Business in Hindi.

काँच की चूड़ियों (Glass Bangles) से तो आप सभी अच्छी तरह से अवगत होंगे । जी हाँ भारतीय संस्कृति में चूड़ियों का अपना अहम् योगदान है। चूड़ियों को सुहागिन महिलाओं का आभूषण माना जाता है।

वैसे तो काँच से कई तरह के कलात्मक वस्तुएं बनाई जाती हैं, लेकिन अलग अलग रंगों की काँच की चूड़ियाँ महिलाओं के बीच खासी प्रचलित हैं। चूड़ियों के बिना महिलाओं का साजो श्रंगार लगभग अधुरा है।

आपने भी देखा होगा की आज भी किसी प्रकार का कोई त्यौहार या कार्यक्रम से पहले महिलाएं चूड़ियाँ खरीदना पसंद करती हैं। और ग्रामीण इलाकों में तो चूड़ी बेचने वाले लोगों के दरवाजे पर जाकर चूड़ियाँ बेच रहे होते हैं।

पहले की तुलना में महिलाएं अधिक साजो श्रंगार करने लगी हैं यही कारण है किओ पहले की तुलना में काँच की चूड़ियों की माँग भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है।

ऐसे में यदि आप अपना कोई बिजनेस शुरू करने पर विचार कर रहे हैं तो काँच की चूड़ियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करने पर विचार कर सकते हैं। भारत में आज भी चूड़ियाँ बनाने का बिजनेस मुख्य तौर पर कुटीर उद्योग के तौर पर किया जा रहा है।

चूँकि चूड़ियाँ बनाने की पद्यति काफी पुरानी है और आज भी पारम्परिक तरीकों से ही भारत में चूड़ी बनाने का बिजनेस किया जा रहा है, इसलिए इस तरह का यह बिजनेस शुरू करना भारत में बहुत अधिक कठिन नहीं है।

भारतीय संस्कृति में चूड़ियों को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और उत्तरी और पूर्वी भारत में काँच की चूड़ियों को सुहागिन महिलाओं की पहचान माना जाता है। ऐसे में इनकी माँग बाज़ारों में हमेशा विद्यमान रहती है ।

चूड़ियों के इस्तेमाल और बिक्री संभावना  

कोई भी उत्पाद जिसकी बाज़ार में माँग अधिक होगी उसकी बिकने की संभावना भी उतनी ही अधिक होगी। जहाँ तक चूड़ियों का सवाल है ये हाथ में पहने जाने वाली गोलाकृति कंगन होती हैं। ये आम तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों द्वारा पहनी और उत्पादित की जाती हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप में महिलाओं द्वारा काँच की चूड़ियाँ प्राचीनकाल से ही पहनी जा रही हैं इसलिए इन्हें एक पारम्परिक आभूषण के रूप में पहचान मिली हुई है।

चूड़ियाँ सिर्फ काँच से ही नहीं बनी हुई होती हैं बल्कि इन्हें लकड़ी, धातु , प्लास्टिक इत्यादि से भी बनाया जाता है। लेकिन काँच की चूड़ियाँ इनमें सबसे अधिक प्रचलित और पसंदीदा चूड़ियों में से एक हैं।

हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं की चूड़ियाँ तो महिलाएं रोज ही पहनती हैं, लेकिन कई तरह के विशेष कार्यकर्मों जैसे शादी, विवाह, सालगिरह, त्यौहारों जैसे करवा चौथ, दीवाली, इत्यादि में काँच की चूड़ियों की माँग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

हालांकि काँच की चूड़ियों को प्लास्टिक से बनी चूड़ियाँ टक्कर तो दे रही हैं लेकिन फिर भी चूड़ियों के इस बाज़ार में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली चूड़ियों में काँच की चूड़ियाँ ही बनी हुई हैं।

वह शायद इसलिए क्योंकि काँच की चूड़ियों में प्लास्टिक की चूड़ियों के मुकाबले बहुत अधिक चमक होती है, और चूँकि इनकी प्रकृति टूटने की होती है, इसलिए लोगों को इन्हें बार बार खरीदने की आवश्यकता होती है।

ऐसे में कोई भी इच्छुक उद्यमी जो खुद का कोई बिजनेस शुरू करने पर विचार कर रहा हो वह काँच की चूड़ियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करने पर भी विचार कर सकता है।

भारत में सबसे ज्यादा चूड़ियों का उत्पादन उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में किया जाता है। यहाँ आज भी इनका निर्माण पारम्परिक भट्ठियों के तरीके से किया जाता है।

Glass bangles manufacturing
Image: Glass Bangles Manufacturing

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चूड़ियाँ बनाने के लिए कितनी जगह चाहिए  

चूड़ियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए भी उद्यमी को कई प्रकार के कार्यों को आसानी से निबटाने के लिए अलग अलग काम के लिए अलग अलग जगह का निर्धारण करने की आवश्यकता होती है।

कहने का आशय यह है की उद्यमी को वर्कशॉप यानिकी जहाँ पर मशीनों के द्वारा चूड़ियों का निर्माण किया जाना है उसके लिए अलग जगह, कच्चे माल को स्टोर करने के लिए अलग जगह, उत्पादित चूड़ियों को रखने के लिए अलग जगह, विद्युत् पैनल और उपकरणों को रखने के लिए अलग जगह और ऑफिस के कार्यों को करने के लिए अलग जगह की आवश्यकता होती है।

इस तरह से देखें तो चूड़ी बनाने की फैक्ट्री शुरू करने के लिए उद्यमी को 1200 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है। यह जगह उद्यमी की खुद की भी हो सकती है, और उद्यमी चाहे तो जगह की लम्बे समय के लिए लीज पर भी ले सकता है।

लेकिन जगह का प्रबंध करने के बाद भी उद्यमी को उसमें प्लांट लेआउट के हिसाब से कंस्ट्रक्शन कराने की आवश्यकता होती है। जिसमें उद्यमी को लाखों रूपये खर्चा करना पड़ता है ।

यदि उद्यमी शुरू में इस लागत से बचना चाहता है तो वह किसी सस्ती जगह पर बनी बनाई प्रॉपर्टी किराये पर लेने के बारे में विचार कर सकता है।

चूड़ियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की भारत में काँच की चूड़ियाँ बनाने का अधिकतर बिजनेस कुटीर उद्योगों के तौर पर ही किया जा रहा है। लेकिन उद्यमी चाहे तो इसे प्रॉपर तरीके से शुरू कर सकता है ताकि वह भविष्य में अपने बिजनेस को अगले स्तर पर ले जाने में सक्षम हो सके।

इसके लिए उद्यमी को निम्नलिखित लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता हो सकती है।

  • अपने बिजनेस को प्रोप्राइटरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी या फिर पार्टनर में कर रहे हैं तो पार्टनरशिप फर्म के तौर पर रजिस्टर करें ।
  • व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड बनाएँ और चालू खाता खोलें।
  • कर पंजीकरण के तौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन करें।
  • नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायत इत्यादि से ट्रेड लाइसेंस प्राप्त करें।
  • स्थानीय स्तर पर अन्य नियमों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।   

काँच की चूड़ियाँ बनाने के लिए कच्चा माल

काँच की चूड़ियाँ बनाने के लिए कई तरह के कच्चे माल की आवश्यकता होती है। इसकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।

  • लगभग 1450 डिग्री सेल्सियस पर उत्पादित सोडा लाइम सिलिका ग्लास जिसमें  33%, सोडा ऐश, 66% सिलिका सैंड और 1% केमिकल शामिल होते हैं।
  • लीड ग्लास जिसे सॉफ्ट ग्लास भी कहा जाता है इसमें कच्चे माल के तौर पर लगभग 24% लेड (Pb) मिलाया जाता है ।
  • हालांकि अधिकतर काँच की चूड़ियों का निर्माण सोडा लाइम ग्लास का उपयोग करके ही किया जाता है।
  • चूड़ियों पर पैटर्न तैयार करने के लिए जिस चमकदार पट्टी का इस्तेमाल किया जाता है उसे जरी कहते हैं, इसकी भी आवश्यकता कच्चे माल के तौर पर होती है।
  • चूड़ियों पर सोने या चाँदी की पॉलिश जिसे हिल कहा जाता है।

काँच की चूड़ियाँ बनाने में इस्तेमाल में लाया जाने वाला कच्चा माल कहीं भी जहाँ पर काँच की चूड़ियाँ बनाने के उद्योग धंधे पहले से स्थापित हैं आसानी से मिल जाता है।

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काँच की चूड़ियाँ बनाने के लिए मशीनरी

काँच की चूड़ियाँ बनाने के लिए इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी की लिस्ट निम्नवत है।

  • टैंक भट्ठी (Tank Furrnace) जिसकी कीमत ₹1.2 लाख हो सकती है ।
  • पकाई भट्ठी जिसकी कीमत ₹2-3 हज़ार हो सकती है ।
  • स्पिंडल इसे बेलन भी कहा जाता है इसकी कीमत भी ₹2-3 हज़ार हो सकती है ।

इस तरह की मशीनरी और उपकरणों को अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए लगभग 6 हॉर्स पॉवर विद्युत् की आवश्यकता हो सकती है। और मशीनरी और उपकरणों को खरीदने में लगभग  ₹1.25 लाख का खर्चा आ सकता है।  

कितने कर्मचारी चाहिए होंगे

कर्मचारियों की संख्या फैक्ट्री के आकार पर निर्भर करेगी ।लेकिन एक ऐसी इकाई जहाँ पर उद्यमी दिन के 150 चूड़ियों के बॉक्स तैयार कर रहा हो उसके लिए उद्यमी को निम्नलिखित कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।

  • मशीन ऑपरेटर – 01
  • कुशल/अकुशल श्रमिक  – 03
  • हेल्पर                – 03
  • सेल्समेन            – 01
  • अकाउंटेंट           – 01     

  कुल 9 कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है।   

काँच की चूड़ियाँ कैसे बनाई जाती हैं

काँच की चूड़ियाँ बनाने के लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से होकर गुजरने की आवश्यकता होती है जिनका संक्षिप्त विवरण कुछ इस प्रकार से है।

  • सबसे पहले कच्चा माल खरीद लिया जाता है ।
  • कच्चे माल का अलग अलग बैच तैयार किये जाते हैं।
  • उसके बाद मशीन में कच्चे माल को चार्ज किया जाता है।
  • और इस चार्जिंग प्रक्रिया के दौरान ही शीशे की पिघलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
  • इस प्रक्रिया के बाद गोब फार्मेशन की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है।
  • अगली प्रक्रिया पियर्सन की तैयारी और जोइनिंग से जुडी होती है।
  • अब दुबारा से गरम करने की प्रक्रिया की जाती है।
  • उसके बाद शीशे से स्पाइरल तैयार किये जाते हैं।
  • और अब इनकी कटिंग की जाती है ताकि वे चूड़ियों के रूप में परिवर्तित हो जाएँ ।
  • उसके बाद फिनिशिंग प्रक्रिया पूर्ण करके चूड़ियों को पैक करने भेज दिया जाता है।  

काँच की चूड़ियाँ बनाने के बिजनेस में लागत

काँच की चूड़ियाँ बनाने का बिजनेस शुरू करने में आने वाली लागत कुछ इस प्रकार से है।  

लागत का विवरण लागत रुपयों में
जमीन का किराया तीन महीने का 15000 प्रति महीने के हिसाब से₹45000
फर्नीचर और फिक्सिंग₹2.25लाख
प्लांट और मशीनरी₹1.25 लाख
कार्यशील लागत (कच्चा माल, सैलरी इत्यादि)₹3.75 लाख
कुल लागत ₹7.70 लाख
Investment in Glass bangles making

एक विश्वसनीय रिपोर्ट के मुताबिक इस बिजनेस (Glass Bangles Making) से पहले ही वर्ष में लगभग ₹3.5 लाख का शुद्ध मुनाफा आसानी से अर्जित किया जा सकता है।     

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