चिक्की बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें। Chikki Making Business Plan.

चिक्की को आम तौर पर गुड़, मूँगफली के दाने और मुरुमुरे का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। यह खाने में मीठी और स्वादिष्ट होती है। जैसे ही सर्दियों का मौसम शुरू होता है वैसे ही बाज़ारों में चिक्की दिखना शुरू हो जाती हैं। आम तौर पर ये बाज़ारों में एक रूपये के पीस, पांच रूपये के पीस और किलो के हिसाब से भी बेचीं जाती है।

खास तौर पर गुड़ और मूंगफली एवं अन्य सूखे मेवों का इस्तेमाल करके बनायीं गई चिक्की की तो बात ही कुछ और है। वह इतनी स्वादिष्ट होती है की उसे खाने को ही मन करता है। यही नहीं इसे इस तरह से बनाया जाता है की यह प्रोटीन के समृद्ध स्रोत के रूप में सामने आती है। और इसमें कई तरह के खनिज और विटामिन पाए जाते हैं, जिससे यह कई तरह के स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करती है।

यद्यपि लोग इसके स्वास्थ्य फायदों के बारे में जानते हों या नहीं लेकिन इसके स्वाद के कारण हर कोई इसे खाना बेहद पसंद करते हैं। यही कारण है की सर्दियों में इनकी माँग बाज़ारों में बहुत अधिक बढ़ जाती है। इसलिए आज हम हमारे इस आर्टिकल में चिक्की बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें विषय पर विस्तार से बात करने वाले हैं।

chikki banane ka business

चिक्की की बिक्री की संभावना

चिक्की केवल भारत में ही नहीं बल्कि पश्चिमी देशों में भी काफी प्रसिद्ध है । भारत में इसे गुड़ और मूंगफली के दानों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है जो की सर्दियों में स्वास्थ्य की दृष्टी से लाभकारी तो होता ही है, साथ में खाने में भी बेहद स्वादिष्ट होता है । यही कारण है की इस लाजवाब खाने को कई लोग गर्मियों के मौसम में भी काफी मिस करते हैं।

और जैसे ही सर्दियों का मौसम शुरू होता है यह लगभग हर ग्रोसरी स्टोर, मूँगफली वाले के पास दिखाई देने लगती हैं, और लोग इसे खरीदना पसंद करते हैं। इस बिजनेस में छोटे कारोबारियों के लिए इसलिए भी अवसर व्यापत हैं की इस तरह के बिजनेस में कोई बड़ी कंपनी या ब्रांड नहीं है। बल्कि इसकी अधिकतर माँग स्थानीय निर्माताओं द्वारा पूरी की जा रही है।    

इसके अलावा यदि कोई उद्यमी इसमें खुद का ब्रांड भी स्थापित करना चाहता है तो उसके लिए भी अच्छे अवसर विद्यमान हैं। भारत में चिक्की का उत्पादन आम तौर पर असंगठित क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है। लेकिन सर्दियों में इसकी माँग लगभग हर राज्य एवं शहरों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है।

चिक्की बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें (How to start Chikki making Business)

हालांकि कई लोगों द्वारा उनके घर में चिक्की बनाने की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है। वह इसलिए क्योंकि इसे बनाने की प्रक्रिया बहुत अधिक कठिन नहीं है। लेकिन जब उद्यमी इसका निर्माण व्यवसायिक उद्देश्य से करता है तो उसे बेहद कम समय में बहुत अधिक चिक्की का निर्माण करने की आवश्यकता होती है, यही कारण है इसके लिए उसे कई तरह की मशीनरी और उपकरण खरीदने की आवश्यकता होती है ।

तो चलिए जानते हैं की कोई इच्छुक उद्यमी खुद का चिक्की बनाने का यह बिजनेस कैसे शुरू कर सकता है ।

कच्चे माल की उपलब्धता का आकलन करें

चिक्की बनाने के व्यवसाय में कच्चे माल के तौर पर गुड़, मूँगफली इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है। यद्यपि सर्दियों में गुड़ और मूँगफली आपको हर जगह आसानी से मिल जाती हैं। लेकिन आपको अपने व्यवसाय के लिए अधिक मात्रा में गुण और मूँगफली की आवश्यकता होती है। इसलिए जरुरी है की आप इन्हें उचित कीमतों पर खरीदें।

इनकी कीमतें तुलनात्मक रूप से सस्ती उन जगहों में हो सकती हैं जहाँ पर इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता हो। ध्यान रहे चिक्की बनाने का बिजनेस आप तभी कर पाएंगे, जब आपके पास पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल उपलब्ध होगा।       

जगह और बिल्डिंग का प्रबंध करें

इस बिजनेस को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आपको वर्कशॉप का निर्माण करने के अलावा कच्चे माल और उत्पादित माल को स्टोर करने के लिए स्टोर रूम। बिजली उपयोगिताओं जैसे जनरेटर इत्यादि को रखने के लिए जनरेटर रूम, सिक्यूरिटी के लिए सिक्यूरिटी रूम और एक छोटा सा ऑफिस भी स्थापित करने की आवश्यकता होती है। इस तरह से देखें तो आपको ८०० से १००० वर्गफीट जगह की आवश्यकता इसके लिए हो सकती है। 

इसके लिए यदि आपके पास कहीं सड़क के किनारे अपनी खुद की जमीन है तो आप उस पर कंस्ट्रक्शन का काम करा सकते हैं। यदि ऐसा नहीं है तो आप कोई बनी बनाई बिल्डिंग भी किराये पर ले सकते हैं।    

जरुरी लाइसेंस और पंजीकरण करें

चिक्की बनाने के व्यवसाय के लिए जरुरी लाइसेंस और पंजीकरणों की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • व्यवसाय रजिस्ट्रेशन के तौर पर आप प्रोप्राइटरशिप फर्म का रजिस्टर करा सकते हैं।
  • जीएसटी रजिस्ट्रेशन।
  • उद्यम रजिस्ट्रेशन ।
  • एफएसएसआई फ़ूड रजिस्ट्रेशन।
  • यदि आप इसे अपने ब्रांड नाम के तहत बेचते हैं तो ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन
  • लोकल अथॉरिटी से ट्रेड लाइसेंस।
  • व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड और चालू बैंक खाता ।     

मशीनरी और कच्चा माल खरीदें  

  • सिरप बनाने वाले बर्तन दो बड़े बर्तन जिनकी कीमत ₹1 लाख तक हो सकती है।
  • चिक्की को पकाने और मिक्सिंग करने के लिए पतीले दो बड़े एक की कीमत लगभग ₹2 लाख हो सकती है।
  • चिक्की रोलिंग शीटिंग और कटिंग लाइन जिसकी कीमत लगभग ₹3.5 लाख हो सकती है।
  • फ्लो रैप पैकिंग मशीन जिसकी कीमत लगभग ₹2.5 लाख हो सकती है।
  • गैस स्टेशन और पाइपलाइन में भी ₹80 हज़ार तक का खर्चा संभावित है।
  • आरओ प्लांट लगाने में ₹2.5 लाख तक का खर्चा अनुमानित है ।
  • अन्य हैण्ड टूल एवं उपकरणों पर लगभग ₹60000 तक का खर्चा संभावित है ।

कच्चे माल के तौर पर गुड़, चीनी, मूँगफली, लिक्विड ग्लूकोस और पैकेजिंग सामग्री लगती है।

जहाँ तक मशीनरी की बात है इस बिजनेस में प्रयुक्त होने वाली यह मशीनरी किसी भी बड़े शहर में आसानी से मिल जाएगी । उद्यमी चाहे तो अपने एरिया में भी मशीनरी की उपलब्धता का पता कर सकता है। कच्चा माल तो हर जगह आसानी से उपलब्ध है बस जरुरत है तो इसे सस्ते दामों में खरीदने की।   

कर्मचारियों की नियुक्ति करें

किसी भी बिजनेस को बिना मैनपावर के नहीं शुरू किया जा सकता है । इस बिजनेस में भी उद्यमी को ६ से ७ कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता होती है। कुछ कुशल, अकुशल एवं एक एग्जीक्यूटिव स्तर का कर्मचारी नियुक्त करने की जरुरत हो सकती है।

यह उद्यमी के बजट पर निर्भर करता है की वह अनुभवी कर्मचारियों को काम पर रखता है या फिर कम सैलरी देकर फ्रेशर इत्यादि को ही काम पर रखता है। हालांकि इस व्यवसाय में फ्रेशर भी वे काम कर सकते हैं जो इस व्यवसाय के लिए जरुरी है।    

चिक्की बनाना शुरू करें

चिक्की बनाने की प्रक्रिया बहुत ही आसान है इसलिए कुछ लोग इसे अपनी घर के किचन में भी अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए आसानी से बना लेते हैं । इस प्रक्रिया में सबसे पहले सभी कच्चे माल को आवश्यकतानुसार तोल दिया जाता है। उसके बाद गुड़ को पिघलाकर उसका सिरप तैयार किया जाता है। इसमें कुछ मात्रा में पानी डाला जाता है और उसके बाद कुछ मात्रा चीनी की भी मिला दी जाती है ।

उसके बाद इस सिरप को अच्छे ढंग से पकाया जाता है और इसमें भुनी हुई मूँगफली के दानों को मिला दिया जाता है, और इसको अच्छी तरह पलटा जाता है ताकि मूंगफली के दाने इसमें सामान रूप से मिल जाएँ। और जब यह आवश्यक मोटाई प्राप्त कर लेता है तो इसे अलग अलग टुकड़ों में काट लिया जाता है। और इन टुकड़ों को ठंडा किया जाता है, जब ये ठंडी हो जाती हैं तो फ्लो रैप मशीन की मदद से इनकी पैकिंग की जाती है ।    

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