भारत में मेडिकल स्टोर या फार्मेसी बिजनेस कैसे शुरू करें।

मेडिकल स्टोर से भला कौन अवगत नहीं होगा क्योंकि हर व्यक्ति का अपने जीवन में कभी न कभी मेडिकल स्टोर से सामना अवश्य हुआ होगा। जी हाँ दोस्तों जैसा की हम सबको विदित है की इस धरती पर उपलब्ध प्रत्येक जीवधारी के शरीर में कभी न कभी कोई विकार अवश्य आ जाता है।

इसलिए कभी कभी मनुष्य भी अस्वस्थ हो जाता है और वह इस स्थिति में किसी डॉक्टर के पास अपना उपचार करने पहुँच जाता है। डॉक्टर द्वारा व्यक्ति के उपचार के लिए विभिन्न दवाएं लिखी जाती हैं जिन्हें व्यक्ति को किसी नजदीकी मेडिकल स्टोर से खरीदना होता है।

चूँकि वर्तमान में हर क्षेत्र जहाँ मनुष्य प्राणी निवासित है में एक न एक मेडिकल स्टोर की नितान्त आवश्यकता है। इसलिए अक्सर भारत के युवा एवं अन्य लोग यह जानने को उत्सुक रहते हैं की कैसे वे खुद का फार्मेसी बिजनेस या मेडिकल स्टोर खोल सकते हैं।

यही कारण है की आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से भारत में फार्मेसी बिजनेस शुरू करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। लेकिन उससे पहले यह जान लेते हैं की एक मेडिकल स्टोर आखिर होता क्या है।

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मेडिकल स्टोर क्या है (What is Medical Store in Hindi):

इसको हम एक ऐसा स्थान या दुकान कह सकते हैं जहाँ स्वास्थ्य देखभाल से सम्बंधित उत्पाद और दवाईयाँ बेचीं जाती हों। इनमें कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जो ग्राहक बिना किसी डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के खरीद सकता है तो कुछ दवाईयाँ ऐसी भी होती हैं जिन्हें सिर्फ दोक्टिर की प्रिस्क्रिप्शन पर ही ख़रीदा जा सकता है।

कहने का अभिप्राय यह है की एक Pharmacy Shop पर फूटकर में दवाईयाँ बेचीं जाती हैं चूँकि यह मनुष्य के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ बिजनेस है इसलिए इस तरह के बिजनेस में कभी भी मंदी नहीं आती हैं। लोग भले ही अन्य चीजों पर खर्चा करें न करें लेकिन अपमे स्वास्थ्य पर खर्चा अवश्य करते हैं। क्योंकि किसी विद्वान व्यक्ति ने सही कहा है की जान है तो जहान है।

मेडिकल स्टोर कैसे खोलें (How to Open a Medical Store):

भारत में मेडिकल स्टोर दो तरीकों से खोला जा सकता है पहला तरीका उन लोगों के लिए है जो बड़े स्तर पर इस बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं। इसलिए यह जरुरी नहीं है की इन्होने कोई फार्मेसी कोर्स जैसे बी. फार्मा, डी फार्मा या एम् फार्मा किया हो। क्योंकि जो लोग बड़े स्तर पर फार्मेसी बिजनेस शुरू करना चाहते हैं वे अपने बिजनेस के लिए फार्मेसिस्ट को नियुक्त कर सकते हैं।

लेकिन यदि व्यक्ति छोटे स्तर पर कम निवेश के साथ या व्यक्तिगत तौर पर इसे खोलने की सोच रहा है तो उसे कोई भी एक फार्मेसिस्ट कोर्स जैसे बी. फार्मा, एम् फार्मा इत्यादि करना बेहद जरुरी है। क्योंकि फार्मेसी लाइसेंस सिर्फ उन्हीं को जारी किया जाता है जिन्होंने फार्मेसी कोर्स किया हुआ हो। यहाँ पर हम छोटे स्तर पर फार्मेसी बिजनेस कैसे शुरू करें के बारे में वार्तलाप करेंगे।

फार्मेसी कोर्स पूरा करें (Complete Pharmacy Course) :

यदि बिना किसी फार्मेसिस्ट को नियुक्त करके उद्यमी अपनी अंग्रेजी दवा की दुकान खोलना चाहता है तो उसे सर्वप्रथम खुद फार्मेसिस्ट बनना पड़ेगा।

इसके लिए उसे फार्मेसी के विभिन्न कोर्स जैसे एम्. फार्मा, डी. फार्मा, बी फार्मा, फार्मा डी इत्यादि में से कोई एक कोर्स पूरा करने की आवश्यकता हो सकती है। यद्यपि फार्मेसी के लिए अनेकों बैचलर कोर्स, मास्टर कोर्स, डिप्लोमा कोर्स एवं डॉक्टरेट कोर्स हो सकते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख पाठ्यक्रमों की लिस्ट निम्नवत है।

1. डी फार्मा (Diploma in Pharmacy):

D. Pharmacy दो वर्षों की अवधि का कोर्स होता है इस पाठ्यक्रम को विद्यार्थी बारहवीं PCM विषयों के साथ एक निश्चित प्रतिशत में पास करके कर सकता है। दो साल के पाठ्यक्रम के बाद विद्यार्थी को लगभग 500 घंटों या तीन महीने का सरकारी अस्पताल में व्यवहारिक प्रशिक्षण भी लेना होता है। इसके बाद ही विद्यार्थी फार्मेसिस्ट के तौर पर रजिस्टर होने के लिए अप्लाई कर सकता है। 

2. बी. फार्मा (Bachelor of Pharmacy):  

मेडिकल स्टोर खोलने का इच्छुक विद्यार्थी या फार्मेसिस्ट बनने का इच्छुक विद्यार्थी बारहवीं पीसीएम विषयों के साथ पास करके बी. फार्मा भी कर सकता है।

हालांकि इसके लिए उम्मीदवार को सरकारी संस्थानों या प्रसिद्ध संस्थानों में एडमिशन प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में भी अच्छी रैंक लाने की आवश्यकता हो सकती है। यह तीन सालों का पाठ्यक्रम होता है जिसमें एक महीने का औद्यागिक प्रशिक्षण किसी फर्मास्यूटिकल कंपनी से लेना आवश्यक है।

3. एम्. फार्मा (Master of Pharmacy):

M. Pharma नामक यह कोर्स बी. फार्मा के बाद किया जा सकता है यह दो सालों की अवधि का पाठ्यक्रम होता है अधिकतर संस्थान उन्हीं उम्मीदवारों को एडमिशन देते हैं। जिनके बी. फार्मा में कम से कम 50% प्राप्तांक हों।

4. फार्मा डी. (Doctor of Pharmacy):

यदि कोई उम्मीदवार बारहवीं पीसीएम विषयों के साथ पास करने के बाद या फार्मेसी में डिप्लोमा करने के बाद यह कोर्स करना चाहता है। तो उसे इस पाठ्यक्रम को पूरा करने में लगभग 6 वर्षों का समय लग सकता है।

और यदि बी फार्मा के बाद कोई इस पाठ्यक्रम को करता है तो उसे चार वर्षों का समय लग सकता है। इसलिए जो उम्मीदवार व्यक्तिगत तौर पर खुद की अंग्रेजी दवा की दुकान शुरू करना चाहता हो उसे सर्वप्रथम फार्मेसी कोर्स पूरा करना होगा।            

फार्मेसी काउंसिल में रजिस्टर करें (registered yourself with PCI):

फार्मेसी कोर्स पूरा कर लेने के बाद व्यक्ति फार्मेसिस्ट तो बन जाता है लेकिन एक रजिस्टर्ड फार्मेसिस्ट बनने के लिए उसे राज्य की फार्मेसी काउंसिल में रजिस्टर करना होगा। यह प्रक्रिया उम्मीदवार चाहे तो ऑनलाइन भी कर सकता है। इस प्रकार के रजिस्ट्रेशन के लिए उम्मीदवार से विभिन्न शैक्षणिक एवं व्यक्तिगत दस्तावेजों की माँग की जा सकती है ।  

Medical Store के लिए लोकेशन का चयन करें:

इस बिजनेस की सफलता असफलता भी काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है की मेडिकल स्टोर किस लोकेशन पर खोला गया है। किसी हॉस्पिटल के अन्दर या सामने या फिर किसी डॉक्टर के क्लिनिक के सामने मेडिकल स्टोर खोलना बेहद लाभकारी हो सकता है। कहने का अभिप्राय यह है की यदि उद्यमी द्वारा इस तरह के बिजनेस के लिए एक अच्छी लोकेशन का चुनाव नहीं किया गया तो यह उद्यमी के बिजनेस के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

हालांकि उद्यमी को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की जिस लोकेशन पर वह अपनी दवा की दुकान खोलना चाहता है उस लोकेशन पर बहुत ज्यादा मेडिकल स्टोर भी उपलब्ध नहीं होने चाहिए अन्यथा प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।    

ड्रग लाइसेंस के लिए अप्लाई करें (Apply for drug license):

मेडिकल स्टोर में दवा बेचने से पूर्व उद्यमी को ड्रग लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है चाहे उद्यमी कोई छोटा फार्मेसी बिजनेस शुरू कर रहा हो या फिर कोई बड़ा दोनों स्थिति में उद्यमी को ड्रग लाइसेंस लेना ही लेना होगा। इस तरह का यह ड्रग लाइसेंस उद्यमी केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन या राज्य औषधि मानक नियंत्रण संगठन से प्राप्त कर सकता है। इस तरह के ये संगठन दो प्रकार के ड्रग लाइसेंस जारी करते हैं।

1. रिटेल ड्रग लाइसेंस (Retail Drug License): 

इस तरह का यह लाइसेंस एक साधारण सी अंग्रेजी दवा की दुकान चलाने के लिए चाहिए होता है जहाँ पर उद्यमी फूटकर में दवाईयाँ एवं अन्य स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े उत्पाद बेच रहा होता है। इस तरह का यह ड्रग लाइसेंस लेने के लिए एक शुल्क जमा करने की आवश्यकता होती है और लाइसेंस केवल उसी व्यक्ति के नाम से जारी किया जाता है जिसने फार्मेसी में कोई डिप्लोमा या डिग्री कोर्स किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से पूरा किया हो।

2. थोक विक्रेता ड्रग लाइसेंस (Wholesale Drug License):

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस तरह का यह लाइसेंस उन स्टोरों को जारी किया जाता है जो दवाईयाँ एवं अन्य स्वास्थ्य से जुड़े उत्पादों को थोक में बेचते हैं। इस तरह के ड्रग लाइसेंस को प्राप्त करने के लिए रिटेल ड्रग लाइसेंस की तुलना में कोई सख्त नियम प्रावधानित नहीं है।    

स्थानीय थोक विक्रेता से संपर्क करें:

यदि आप रिटेल स्टोर खोलना चाह रहे हैं तो जाहिर सी बात है की आपको दवाईयाँ एवं अन्य स्वास्थ्य प्रोडक्ट सप्लाई करने के लिए किसी थोक विक्रेता से संपर्क करने की आवश्यकता होगी। यद्यपि उद्यमी चाहे तो सीधे दवा या अन्य स्वास्थ्य उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनी से भी संपर्क कर सकता है क्योंकि कम्पनियों से सीधे संपर्क करने पर उद्यमी को अच्छी डील मिल सकती है।

जिससे वह खुद का लाभ बढ़ा पाने में सक्षम हो पायेगा। लेकिन ध्यान रहे की दवा विनिर्माण कम्पनियां हमेशा बड़े आर्डर की राह देखती हैं इसलिए यदि आपके पास निवेश करने के लिए अधिक पैसे नहीं हैं तो आप किसी स्थानीय थोक विक्रेता से ही अपने स्टोर के लिए उत्पाद खरीद सकते हैं।    

स्थानीय डॉक्टर से टाई अप करें (Tie up with Local Doctors):

यदि आप अपने मेडिकल स्टोर बिजनेस को सफल बनाना चाहते हैं तो आपको अपने आस पास के एरिया में स्थित डॉक्टर से टाई अप करने की कोशिश करनी चाहिए। हालांकि वर्तमान में हर हॉस्पिटल में अन्दर ही मेडिकल स्टोर उपलब्ध होता है लेकिन जो डॉक्टर अपने घरों में या छोटे क्लिनिक में मरीजों को देखते हैं आप उनसे टाई अप करने की कोशिश कर सकते हैं।

आम तौर पर मरीज डॉक्टर की कही हुई बात को कम ही टालते हैं इसलिए डॉक्टर उन्हें जिस मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने के लिए कहते हैं वे उसी मेडिकल स्टोर से दवाईयाँ या अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी उत्पाद खरीदते हैं।   

Medical Store में दवाई बेचें और कमाई करें:

इस बिजनेस से भी कमाई करने का एक ही फार्मूला है की जितने अधिक ग्राहक आपके स्टोर पर आयेंगे आपकी उतनी अधिक कमाई होने के आसार हैं। एक मेडिकल स्टोर चलाने वाले उद्यमी को कोशिश करनी चाहिए की उसके स्टोर से कोई भी व्यक्ति खाली न जाय। 

अर्थात उसे हर छोटे बड़े ग्राहक का ध्यान गंभीरता से रखना चाहिए यदि कोई ग्राहक कोई ऐसी दवाई की भी मांग करता है जो आपके पास मौजूद नहीं है तो आपको वह दवाई उस ग्राहक के लिए अरेंज करने की कोशिश करनी चाहिए। ताकि वह ग्राहक आपके लॉयल ग्राहक के तौर पर परिवर्तित हो सके और आपकी कमाई बढ़ाने में सहायक बन सके।  

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