धागा बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें।

धागों का इस्तेमाल रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर किया जाता है। यही नहीं घरेलू तौर पर भी धागों के इस्तेमाल फटे पुराने कपड़ों को ठीक करने और टेलरिंग, बुटीक इत्यादि व्यवसायों में भी बड़ी मात्रा में किया जाता है। कुल मिलाकर कपड़े या किसी अन्य फैब्रिक से किसी चीज को बनाने के लिए यानिकी उसे सिलने के लिए सिलाई धागों का इस्तेमाल किया जाता है।

इन धागों को आम तौर पर रील भी कहा जाता है और ये विभिन्न रंगों, आकार, गोलाई, मोटाई के बनाये जाते हैं। आम तौर पर इनका इस्तेमाल कपड़े के रंगों के आधार पर किया जाता है, यानिकी जो रंग सिलाई के कपड़े से मेल खायेगा उस कपड़े को सिलने में उसी रंग के सिलाई के धागे का इस्तेमाल किया जाता है।  

यद्यपि इन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के आधार पर इनके कई प्रकार हो सकते हैं। लेकिन वर्तमान में नायलॉन से बने हुए चमकीले एवं रंगीन सिलाई के धागे प्रचलित हैं। जो अन्य धागों की तुलना में थोड़े मजबूत होते हैं। यह एक ऐसी आम वस्तु है जिसका बड़े पैमाने पर औद्यौगिक उपयोग होने के साथ साथ घरेलू उपयोग भी हैं ।

इसलिए कोई भी इच्छुक उद्यमी जो ₹10 लाख से ₹15 लाख का निवेश करके छोटे स्तर पर कोई व्यवसाय करने का विचार कर रहा हो, तो वह सिलाई का धागा बनाने के बिजनेस पर विचार कर सकता है।

dhaga banane ka business

धागा की बिक्री होने की संभावना

जैसा की हम बता चुके हैं की धागा एक ऐसी वस्तु है जिसका इस्तेमाल औद्यौगिक तौर पर बड़े पैमाने पर किया जाता है। यानिकी बड़ी बड़ी कंपनियाँ जो अपनी फैक्ट्री में रेडीमेड गारमेंट का इस्तेमाल करती हैं, वे सिलाई के धागे की बड़ी ग्राहक हैं। लेकिन यहाँ पर इस्तेमाल में लाये जाने वाले धागों के रोल सामान्य रोल की तुलना में कई गुना बड़े होते हैं।

इसके अलावा धागे का इस्तेमाल टेलरिंग दुकानों, गली मोहल्लों में स्थित बुटीक, गृहिणियों द्वारा घर पर भी बड़े स्तर पर किया जाता है। यही कारण है की इस वस्तु की माँग बाज़ारों में हमेशा विद्यमान रहती है। यही कारण है की उद्यमी के लिए अपनी इकाई द्वारा उत्पादित धागे को बेचने में किसी प्रकार की कोई परेशानी होने की संभावना नहीं है।

धागा बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें (How to start thread making business in India)

धागे की माँग हर क्षेत्र में पर्याप्त है, इसलिए इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने वाले उद्यमी को सबसे पहले इसी बात का जायजा लेने की आवश्यकता होती है, की जहाँ पर वह अपनी धागा बनाने की फैक्ट्री लगाने की सोच रहा है। क्या वह उसी एरिया में अपनी इकाई द्वारा उत्पादित उत्पाद को बेच पाने में सफल हो पाएगा।  

इसके अलावा उस एरिया में जितनी माँग की आवश्यकता होगी उद्यमी उसी के आधार पर यह तय कर पाएगा की उसे उस एरिया में कितनी उत्पादन क्षमता वाला प्लांट स्थापित करना चाहिए। शुरुआत छोटे से करने में जोखिम तो कम रहता है, लेकिन कई बार कई ग्राहक भी हाथ से छूट जाते हैं। इसलिए यह उद्यमी की रिसर्च पर निर्भर करेगा की वह किस उत्पादन क्षमता की इकाई लगाना चाहता है।

उद्यमी को धागा बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए और भी कई कदम उठाने की आवश्यकता होती है। जिनमें से कुछ जरुरी कदमों का जिक्र हम नीचे कर रहे हैं।

स्थानीय स्तर पर माँग का जायजा लें

यद्यपि धागे की रील ऐसी वस्तु है जिसे आप बनाकर भारत के किसी भी कोने में आसानी से ट्रांसपोर्ट कर सकते हैं । इसके टूटने फूटने का कोई डर नहीं रहता है, लेकिन यदि आप शुरूआती दौर में उत्पाद को ट्रांसपोर्ट करने के खर्चे से बचना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले उस क्षेत्र में जहाँ आप अपना धागा बनाने का बिजनेस स्थापित करना चाहते हैं, में इसकी माँग का जायजा लेना होगा।

माँग की जायजा लेने के लिए आप ३० से ४० किलोमीटर का क्षेत्रफल में उपलब्ध गारमेंट्स फैक्ट्री, टेलरिंग की दुकानें, बुटीक इत्यादि की संख्या का आकलन कर सकते हैं। घरेलू माँग की जायजा लेने के लिए आप इस निश्चित क्षेत्रफल में रहने वाली जनसँख्या का आकलन कर सकते हैं।

उत्पादन क्षमता निर्धारित करें

इसी लेख में हम पहले भी बता चुके हैं की उद्यमी को शुरूआती दौर में वह अपने बिजनेस का आकार क्या रखेगा? इसके लिए स्थानीय स्तर पर की गई माँग पर रिसर्च बहुत काम आयेगी।

वैसे देखा जाय तो उद्यमी को चाहिए की वह शुरूआती दौर में कम उत्पादन क्षमता का प्लांट स्थापित करके ही इसकी शुरुआत करे और बाद में अपने बिजनेस को धीरे धीरे आगे बढाए। लेकिन यदि उद्यमी को लगता है की उसके कम उत्पादन करने से ग्राहकों की एक बड़ी संख्या उसके हाथ से निकल सकती है, तो फिर वह माँग के आधार पर ही उत्पादन क्षमता यानिकी अपने बिजनेस के आकार का निर्णय ले सकता है।   

जरुरी बिल्डिंग या जगह का प्रबंध करें

इस बिजनेस में आपको मशीनरी को इंस्टाल करना होता है। विद्युत् उपकरणों जैसे जनरेटर इत्यादि के लिए भी जगह की आवश्यकता होती है । स्टोर रूम कच्चे माल और तैयार माल के लिए अलग अलग, एक ऑफिस एवं एक सिक्यूरिटी गार्ड रूम की भी आवश्यकता हो सकती है। इस तरह से देखें तो आपको कुल मिलाकर ६०० से ९०० वर्ग फीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।

यह जरुरी नहीं है की आपकी यह इकाई किसी मुख्य बाज़ार में उपलब्ध हो, बल्कि मुख्य बाज़ार के नज़दीक कहीं भी जहाँ सड़क, बिजली, पानी इत्यादि आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता हो आप वहां पर अपनी इकाई स्थापित करने के लिए कोई बिल्डिंग, खाली पड़ा हाल भी किराये पर ले सकते हैं।     

बिजनेस के लिए लाइसेंस प्राप्त करें

भारत में कोई भी बिजनेस वैधानिक रूप से स्थापित करने के लिए कई तरह के लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है। धागा बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए भी उद्यमी को निम्नलिखित लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।

  • कंपनी अधिनियम के तहत अपने बिजनेस का रजिस्ट्रेशन करें इसके लिए आप चाहें तो प्रोप्राइटरशिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एवं अन्य में से किसी एक का चयन कर सकते हैं।
  • बिजनेस रजिस्ट्रेशन के अलावा टैक्स रजिस्ट्रेशन भी बेहद जरुरी होता है इसके लिए आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन करने की जरुरत होती है।
  • उद्यमी को अपने व्यवसाय के नाम से पैन कार्ड और बैंक में एक चालू खाता खोलने की भी जरुरत होती है।
  • ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड द्वारा प्रोडक्ट की क्वालिटी को बनाये रखने के लिए कुछ मानक निर्धारित किये गए हैं। आप इन मानकों का अनुपालन कर रहे हैं यह बात साबित करने के लिए BIS Registration की भी आवश्यकता हो सकती है।
  • स्थानीय प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस या फैक्ट्री लाइसेंस लेने की आवश्यकता हो सकती है।
  • अपनी इकाई को एमएसएमई के तहत रजिस्ट्रेशन करने के लिए एमएसएमई रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है।        

मशीनरी और कच्चा माल खरीदें

मशीनरी के तौर पर उद्यमी को दो तरह की मशीन इस बिजनेस को शुरू करने के लिए खरीदनी होती हैं। एक है कच्चे माल से धागा बनाने वाली मशीन जिसे थ्रेड मेकिंग मशीन कहते हैं, दूसरी है उस धागे को रोल करने वाली मशीन इसे थ्रेड वाइंडिंग मशीन भी कहा जाता है।

पहले मशीन की कीमत इसकी उत्पादन क्षमता के आधार पर ₹3 लाख से लेकर ₹30 लाख तक हो सकती है। दूसरी मशीन की कीमत भी इसकी क्षमता के आधार ₹३० हज़ार से शुरू होकर लाखों रूपये तक हो सकती है। भारत में इस तरह की मशीन आसानी से उपलब्ध हैं।

कच्चे माल के तौर पर धागा बनाने के लिए कई तरह की सामग्री जैसे नायलॉन, पॉलिस्टर, रेशम, सिंथेटिक फाइबर इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है। वह इसलिए क्योंकि ये सभी गर्मी और ज्वलनशील प्रतिरोधी, लचीले, घर्षण प्रतिरोधी होते हैं। यह सामग्री भी बड़े बड़े महानगरों एवं शहरों में आसानी से उपलब्ध है।

इस बिजनेस के लिए मशीनरी और कच्चा माल खरीदने के लिए सप्लायर का चुनाव करने से पहले विभिन्न सप्लायर से कोटेशन और उनके द्वारा दी जाने वाली पोस्ट सेल सर्विसिंग की सूची भी मँगवा लें। उसके बाद इनका तुलनात्मक आकलन करने के बाद अपने बिजनेस के लिए किसी अच्छे सप्लायर का चुनाव करें।        

कर्मचारियों की नियुक्ति करें    

हालांकि उद्यमी को अपने धागा बनाने के बिजनेस के लिए कितने कर्मचारियों की आवश्यकता होगी, यह उसके व्यवसाय के आकार पर निर्भर करेगा। लेकिन इसके लिए उसे मशीन ऑपरेटर, हेल्पर, ऑफिस असिस्टेंट कम अकाउंटेंट, मैनेजर या सुपरवाईजर, सिक्यूरिटी गार्ड इत्यादि की आवश्यकता हो सकती है।

शुरूआती दौर में उद्यमी को यही कोशिश करनी चाहिए की उसके द्वारा नियुक्त किये जाने वाले कर्मचारियों की संख्या १० तक न पहुंचे। क्योंकि इस संख्या तक पहुँचने के बाद उद्यमी को ईएसआई रजिस्ट्रेशन इत्यादि करने की भी आवश्यकता हो सकती है।

धागा बनाने की प्रक्रिया शुरू करें  

जिन मशीन का वर्णन हमें ऊपर किया हुआ है उनकी मदद से धागा बनाने की प्रक्रिया बेहद ही आसान है। यहाँ तक की जिन विक्रेताओं से उद्यमी धागा बनाने वाली मशीनें खरीदेगा वही उद्यमी को या उसके कर्मचारियों को इन मशीनों को अच्छे ढंग से संचालित करने की प्रक्रिया के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे।

इसलिए इस बिजनेस को शुरू करने में यह कोई चिंता की बात नहीं है की धागे का निर्माण कैसे होगा। पहली मशीन जिसे थ्रेड मेकिंग मशीन कहा जाता है उसमें कच्चे माल को सेट करके धागे का निर्माण किया जाता है, जबकि दूसरी मशीन से धागे को रोल करने और उसकी रील बनाने का काम किया जाता है।

धागा बनाने के बिजनेस में लागत

इस बिजनेस को शुरू करने में आपकी मुख्य स्थिर लागत मशीनरी और उपकरणों की खरीदारी करने में आने वाली लागत जो की छोटे स्तर पर भी ₹4 लाख तक हो सकती है। बिल्डिंग का किराया प्रति महीने ₹30000 मान के चलें तो तीन महीने का किराया ₹90000 होगा। अगले तीन महीने का कच्चा माल एक साथ खरीदने के लिए लगभग ₹2 लाख की आवश्यकता होगी। ₹3 लाख अगले तीन महीनों की कर्मचारियों की सैलरी मान के चल सकते हैं।

इसके अलावा बिजली पानी, मशीन इंस्टालेशन इत्यादि कई खर्चे ऐसे हैं जो इस बिजनेस को शुरू करने की लागत को ₹12 लाख से ₹15 लाख तक ले जाएगी।

इस व्यवसाय में जोखिम एवं अवसर

इसमें कोई दो राय नहीं की हर वह काम जिसमें आदमी निवेश करता है, उसमें जोखिम तो होता ही है। सिलाई का धागा बनाने का व्यवसाय भी ऐसा ही है। लेकिन चूँकि इसका इस्तेमाल औद्यौगिक एवं घरेलू तौर पर होता है। इसलिए यदि उद्यमी एक अच्छी गुणवत्ता वाला धागा बेहतर कीमतों में बाज़ार में उपलब्ध कराने में सफल होता है, तो उसके उत्पाद की बिक्री सुनिश्चित है।

जोखिम यह है की इस क्षेत्र में भी पहले से कई कंपनियाँ अपना धागा बना रही हैं। इसलिए बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है।  लेकिन प्रोडक्ट की माँग सर्वत्र फैली हुई है।  

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