कम पैसों से शुरू करें आचार बनाने का बिजनेस। Pickle Business plan in Hindi.

Pickle Making business plan in hindi – आचार बनाने के व्यापार की महत्वता एवं मांग इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि वर्तमान में जिस प्रकार प्रत्येक घर की रसोई में मसालों का मिलना स्वभाविक है। वही अधिकतर घरों में आचार भी हमेशा उपलब्ध रहता है । यद्यपि इसमें भी कोई दो राय नहीं की अनेकों घरों में इस्तेमाल के लिए लोग स्वयं ही आचार का निर्माण करते हैं लेकिन इनकी संख्या बेहद कम है। और अधिकतर जनसँख्या ऐसे लोगों की है जो अपनी आचार की आवश्यकता की पूर्ति के लिए बाज़ारों पर ही निर्भर हैं।

आचार का इस्तेमाल केवल घरों में ही नहीं होता है बल्कि होटल, ढाबों, रेस्टोरेंट, रेहड़ी, पटरियों इत्यादि में भी बड़े पैमाने पर होता है। इसलिए यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा की आचार बनाने का बिजनेस शुरू करना लाभकारी हो सकता है। वर्तमान में भारत सरकार एवं राज्य सरकार देश में लोगों को उद्यमिता की ओर बढ़ावा देने के मद्देनज़र भिन्न भिन्न योजनायें चला रही हैं वह भी विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा करने की दृष्टी से कृषि से सम्बंधित परियोजनाओं के लिए सब्सिडी ऋण इत्यादि से लेकर मार्केटिंग असिस्टेंस स्कीम तक विद्यमान हैं।

इसलिए यदि उद्यमी किसी ग्रामीण इलाके से इस तरह के व्यापार को शुरू करता है उसे मजदूर एवं कच्चा माल तो सस्ते दामों में मिलेगा ही साथ में सरकार भी उसकी योजना को विभिन्न तरीकों से प्रोत्साहित करेगी। इसलिए यदि आप भी स्वयं का यह बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो हमारे द्वारा लिखा गया लेख आपके लिए बेहद उपयोगी हो सकता है। तो आइये जानते हैं की कैसे कोई इच्छुक व्यक्ति खुद का आचार बनाने का व्यापार शुरू कर सकता है ।

Pickle Manufacturing business in Hindi

आचार बनाने का व्यापार कैसे शुरू करें? (How to Start Pickle Manufacturing Business)

Pickle Manufacturing से आशय आचार बनाने के व्यवसाय से है। जब भी हम चटपटी काहने वाली वस्तुओं का नाम लेते हैं तो उसमें आचार का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। जैसा की हम सब जानते हैं आज भी लोग अपने घरों की आचार सम्बन्धी आवश्यकता को पूर्ति करने के लिए अपने घर पर ही बिना मशीनों की मदद से स्वादिष्ट आचार बनान लेते हैं। इसका मतलब यह हुआ की आचार बनाने की प्रक्रिया बहुत अधिक जटिल नहीं है इसलिए इसे कोई भी व्यक्ति आसानी से सीख सकता है। यही कारण है की यह व्यापार शुरू करना निवेश एवं तकनिकी की दृष्टी से भी काफी आसान एवं सरल है।

यहाँ तक की उद्यमी चाहे तो इस व्यापार को अपने घर के किसी खाली कमरे से भी शुरू कर सकता है और आचार बनाने में अपने पारिवारिक सदस्यों की मदद भी ले सकता है। लेकिन इन सबके बावजूद बहुत सारे लोग इन्टरनेट पर अक्सर इसी तलाश में रहते हैं की वे खुद का आचार बनाने का व्यापार कैसे शुरू कर सकते हैं। उनकी इसी तलाश को ख़त्म करने के लिए आज हम इस लेख के माध्यम से आचार बनाने के बिजनेस को शुरू करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत तौर पर वार्तलाप करने वाले हैं।

1. घर से या बाहर से का निर्णय लें (Choose Business Model)

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की इस बिजनेस को यदि उद्यमी चाहे तो अपने घर के किसी खाली कमरे से भी शुरू कर सकता है। इसलिए सबसे पहले आचार बनाने का बिजनेस शुरू करने वाले उद्यमी को इसी बात का निर्णय लेने की आवश्यकता होती है की वह इस तरह का यह व्यापार घर से शुरू करना चाहता है या फिर कहीं बाहर किराये पर जगह लेकर। यह व्यवसाय महिलाओं के लिए भी बेहतरीन व्यवसाय बन सकता है और कोई महिला उद्यमी भी अन्य महिलाओं की मदद से इस व्यापार को आसानी से शुरू कर सकती है।

इसलिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप महिला हैं या पुरुष दोनों इस तरह के व्यापार को शुरू करके अपनी कमाई कर सकते हैं। हालांकि घर से इस तरह का व्यवसाय शुरू करने में हो सकता है की उद्यमी को कच्चे माल भण्डारण एवं पैकिंग किया हुआ माल के भण्डारण की परेशानी आये। इसलिए बेहतर तो यही होगा की उद्यमी घर के बाहर कोई उपयुक्त जगह किराये पर लेकर वहीँ से अपना आचार बनाने का व्यापार शुरू करे।     

2. दुकान किराये पर लें (Rent a Space/Shop for Pickle Manufacturing )

चूँकि इसमें उद्यमी ने आचार की दुकान नहीं बल्कि फैक्ट्री स्थापित करनी है इसलिए यह जरुरी नहीं है की यह स्थानीय बाजार के बीचोंबीच ही स्थापित की जाय। बल्कि उद्यमी चाहे तो इसे किसी आउटसाइड एरिया में भी स्थापित कर सकता है लेकिन ध्यान रहे वहां पर आधारभूत सुविधाएँ जैसे चौड़ी सड़क, बिजली, पानी इत्यादि का होना नितांत आवश्यक है और स्थानीय बाजार से उसकी दूरी भी अधिक नहीं होनी चाहिए।

ताकि उद्यमी को अपना माल बाजार में बिकवाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन शुल्क अधिक न देना पड़े और उसका उत्पाद प्रतिस्पर्धी कीमतों को पार न कर पाय। ध्यान रहे जब उद्यमी आचार बनाने की इकाई स्थापित करने के लिए जगह किराये पर ले रहा हो तो चाहे ग्रामीण इलाका हो या शहरी रेंट या लीज एग्रीमेंट बनाना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि इसी दस्तावेज की बदौलत उद्यमी कमर्शियल बिजली कनेक्शन से लेकर फ़ूड लाइसेंस इत्यादि ले पायेगा। लीज एग्रीमेंट को पता प्रमाण के तौर पर आसानी से इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

यदि उद्यमी किसी ग्रामीण इलाके में दुकान या जगह किरयर पर लेता है तो उसे कच्चा माल एवं मजदूर तो सस्ते दामों में उपलब्ध हो सकते हैं लेकिन उसे अपने उत्पादों को शहरी बाज़ारों तक भिजवाने में ट्रांसपोर्टेशन करने के लिए अधिक खर्चा करना पड़ सकता है।      

3. रजिस्ट्रेशन एवं लाइसेंस प्राप्त करें (Get License for Pickle manufacturing)

यद्यपि छोटे स्तर पर इसे शुरू करने के लिए इसे कम्पनीज के तौर पर रजिस्टर करने की आवश्यकता तो नहीं होती है। लेकिन उद्यमी को अपना ब्रांड नाम एवं ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता हो सकती है वह भी यदि उद्यमी चाहता है की उसके ब्रांड या व्यापारिक चिन्ह का कोई दुरूपयोग न हो तो वह ऐसा कर सकता है।

आम तौर पर इस तरह का व्यवसाय शुरू करने के लिए उद्यमियों द्वारा स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम इत्यादि से ट्रेड लाइसेंस लिया जाता है और बैंक में चालू खाता के अलावा फ़ूड लाइसेंस लेने की अनिवार्यता इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए होती है। इसके अलावा उद्यमी चाहे तो अपने व्यवसाय को उद्योग आधार एवं एमएसएमई डाटा बैंक इत्यादि में भी रजिस्टर कर सकता है।

ताकि जरुरत पड़ने पर सरकारी विभाग भी उद्यमी के आचार को खरीद सकें। और चूँकि इस तरह के इस व्यवसाय के माध्यम से किसी प्रकार का कोई प्रदूषण पैदा नहीं होता है और यह पर्यावरण के अनुकूल है इसलिए उद्यमी को पोल्यूशन प्रमाण की भी आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन इसके बावजूद उद्यमी को मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के परिसर में स्वच्छता का उचित प्रबंध करने की आवश्यकता होती है।     

4. मशीनरी एवं कच्चा माल खरीदें (Machinery & raw Materials)

जहाँ तक इस बिजनेस को शुरू करने के लिए मशीनरी की बात है वर्तमान में विद्युत् से चलने वाली कुछ आटोमेटिक मशीन भी इस कार्य को करने के लिए आ गई हैं। लेकिन इन आटोमेटिक मशीनों की कीमत लाखों में हो सकती है इसलिए बेहतर यही होता है की उद्यमी पारम्परिक तरीकों से ही शुरूआती दौर में आचार बनाने की प्रक्रिया शुरू करे। जिसके लिए उसे मशीनरी के नाम पर फल, सब्जी काटने वाली मशीन, फलों को सुखाने वाली मशीन एवं पैकिंग मशीन इत्यादि की आवश्यकता हो सकती है।

वैसे उद्यमी चाहे तो पैकिंग के अलावा और सभी प्रक्रियाएं मैन्युअल तरीके से भी कर सकता है। अर्थात आचार बनाने में इस्तेमाल में लाये जाने वाले फलों एवं सब्जी को चाकू इत्यादि की मदद से काटा जा सकता है। और इन्हें काटकर धुप में सुखाया भी जा सकता है लेकिन पैकिंग सीलिंग के लिए तो मशीन की आवश्यकता होगी ही होगी । इसलिए उद्यमी को तय करना है की उसे किन किन मशीनों की मदद से इसे शुरू करना है। कुछ संभावित मशीन एवं उपकरणों की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • फलों को धोने के लिए वाशिंग मशीन
  • फ्रूट कटिंग मशीन
  • ड्रायर मशीन
  • सीलिंग एवं पैकेजिंग मशीन
  • स्टेनलेस स्टील की वर्किंग टेबल
  • अवशेष एकत्रित करने के लिए प्लास्टिक ड्रम
  • आचार बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील के ड्रम
  • चाकू, मग, कप, तराजू इत्यादि

जहाँ तक कच्चे माल की बात है वह इस बात पर निर्भर करता है की उद्यमी की Pickle Manufacturing Unit में किस किस तरह का आचार बनाने की योजना है। वैसे उद्यमी को चाहिए की वह इस बात का निर्णय इस बात को ध्यान में रखकर ले की उस एरिया विशेष में किस फल या सब्जी का उत्पादन अधिक होता है।

जैसा की हम सब अच्छी तरह से जानते हैं की आचार कोई एक चीज से नहीं बल्कि अनेकों जैसे आम, गाज़र, नींबू, गोभी, मिर्च इत्यादि किसी भी फल एवं सब्जी से बनाया जा सकता है । इसलिए माना उद्यमी किसी ऐसे एरिया में है जहाँ आम की पैदावार अच्छी होती हो तो वह आम का आचार बनाने का फैसला ले सकता है। बाद में ग्राहकों की मांग के अनुसार वैरायटी बढ़ा सकता है। इस व्यवसाय में उपयोग होने वाले कुछ प्रमुख कच्चे माल की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • आम, गाजर, नींबू, हरी मिर्च इत्यादि जिससे भी उद्यमी आचार बनाना चाह रहा हो।
  • विभिन्न मसाले जैसे मिर्च, जीरा, खड़ा मसाला इत्यादि।
  • सिरका ।
  • खाने का तेल जैसे रिफाइंड, सरसों का तेल इत्यादि।

 5. आवश्यक कर्मचारी नियुक्त करें (Manpower)

मशीन, उपकरणों एवं कच्चे माल की व्यवस्था कर लेने के बाद अब उद्यमी का अगला कदम कर्मचारियों की नियुक्ति करने का होना चाहिए। चूँकि इस व्यवसाय के लिए किसी विशेष स्किल की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए उद्यमी को सस्ती दरों पर काम कराने के लिए ग्रामीण महिलाओं को अपने कर्मचारियों के तौर पर नियुक्त करने की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन ध्यान रहे शुरूआती दौर में उद्यमी को कर्मचारियों की संख्या कम ही नियुक्त करनी होगी। ताकि उस पर सैलरी देने का अतिरिक्त बोझ न आने पाए।      

6. हो सके तो अपना अनोखा आचार लांच करें (Unique pickle recipe)

खुद का यूनिक एवं अनोखा आचार लांच करने के लिए उद्यमी को खुद की रेसिपी विकसित करनी होगी। और ध्यान रहे एक बार लोगों को उसकी फैक्ट्री द्वारा निर्मित आचार पसंद आने लगे तो फिर उसके व्यवसाय को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। हालांकि खुद का यूनिक आचार बनाने के लिए उद्यमी को शोध एवं प्रयोग करने की आवश्यकता होती है।

इसलिए जब तक वह यूनिक आचार बनाने के लिए कोई रेसिपी विकसित नहीं कर लेता तब तक वह बाज़ार में बिकने वाले आचार जैसे आम का आचार, मिक्स आचार, मिर्च का आचार इत्यादि का निर्माण करके बाजार में बेच सकता है। लेकिन ध्यान रहे उद्यमी का अपना कोई विशेष आचार का निर्माण करना उसके व्यवसाय के लिए बेहद जरुरी है।     

7. कीमत एवं पैकिंग का निर्णय लें

कीमत एवं पैकिंग का निर्णय बहुत सारी बातों को ध्यान में रखकर लिया जाता है। विशेषकर प्रतिस्पर्धा का, जैसा की हम सबको विदित है की वर्तमान में लगभग हर औदयोगिक क्षेत्र में घनघोर प्रतिस्पर्धा है। इसलिए किसी भी प्रकार का व्यापार चलाना किसी भी उद्यमी के लिए कोई आसान बात नहीं है। यही कारण है की उद्यमी को अपने आचार की कीमत एवं पैकिंग का निर्णय लेने से पहले इसके निर्माण में आने वाली लागत का तो ध्यान रखना ही होता है साथ में प्रतिस्पर्द्धात्मक कीमतों का भी ध्यान रखना होता है। ताकि बाजार में उसका उत्पाद अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने में सक्षम हो।     

8. आचार को प्रमोट करें (Promote Your Pickle Business)

यद्यपि इसमें कोई दो राय नहीं है की हर उद्यमी के पास अपने व्यापार को प्रमोट करने की अलग अलग योजना होती है। चूँकि आचार के ग्राहक तो कोई भी व्यक्ति हो सकता है इसलिए इसके संभावित ग्राहकों के तौर पर तो हर व्यक्ति को देखा जा सकता है। लेकिन एक सच्चाई यह भी है की इस व्यापार को करने वाला कोई भी उद्यमी सीधे अंतिम उपभोक्ता को टारगेट नहीं करता है। 

बल्कि उद्यमी को इस बात का पता लगाने की आवश्यकता होती है की अंतिम उपभोक्ता आचार को किन किन स्टोर एवं दुकानों से खरीदना पसंद करते हैं। आम तौर पर देखा गया है की परचून की दुकानों, फ़ूड बेवरेज की दुकानों, शॉपिंग मॉल में स्थित घरेलु बाज़ारों इत्यादि से लोग आचार खरीदना पसंद करते हैं। लेकिन शुरूआती दौर में जब तक की खुद अंतिम उपभोक्ता उद्यमी द्वारा निर्मित आचार की मांग दुकानदारों से न करने लग जाएँ दुकानदार भी नई कंपनी के आचार को बेचने से कतराते हैं। 

लेकिन यदि दुकानदारों को अच्छे मार्जन एवं क्वालिटी का भरोसा दिया जाय तो वे उद्यमी के आचार को बेचने के लिए राजी हो सकते हैं। इसके अलावा शुरूआती दौर में Pickle Manufacturing Business कर रहा उद्यमी ऐसे होटल एवं ढाबों से सीधे संपर्क कर सकता है जहाँ आचार का उपभोग अधिक होता हो। खाने पीने की रेहड़ी पटरियों पर भी आचार का इस्तेमाल काफी अधिक होता है उद्यमी चाहे तो ऐसे छोटे छोटे विक्रेताओं से भी संपर्क कर सकता है।  

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