कचौरी बेचने का बिजनेस कैसे शुरू करें? (प्रक्रिया, विधि, लागत, मुनाफा)

कचौरी का व्यापार (Kachori Business) शहरों में बहुत ज्यादा प्रचलित हैं । यदि आप शहरों में रहते हैं और स्ट्रीट फ़ूड खाने के शौक़ीन हैं तो आपने कभी न कभी कचौरी अवश्य खाई होगी। जी हाँ जैसा की हम सब अच्छी तरह से जानते हैं की स्ट्रीट फ़ूड को कोई भी मनुष्य अपने स्वाद को बदलने के लिए खाता है, न की पेट भरने के लिए। कचौरी भी एक ऐसा ही स्ट्रीट फ़ूड है, जिसे लोग मुहँ के स्वाद बदलने के लिए खाना बहुत पसंद करते हैं।

आम तौर पर खस्ता कचौरी को आलू की सब्जी के साथ बड़े चाव के साथ खाया जा सकता है। चाहे आप घर से खाना खाकर निकले हैं या नहीं, दोनों स्थितियों में आप घर से बाहर कचौरी खा सकते हैं। कहने का आशय यह है की इस तरह के बिजनेस में कोई खास वर्ग आपका ग्राहक नहीं है। बल्कि हर कोई व्यक्ति आपका ग्राहक बन सकता है।

यद्यपि इस तरह के बिजनेस को शुरू करने में एक बात का ध्यान रखने की आवश्यकता जरुर होती है। की यह बिजनेस कम जनसँख्या क्षेत्रफल वाले क्षेत्रों में सफल नहीं हो सकता, इसलिए इसके लिए भीड़ भाड़ वाली या मार्किट का चयन करना आवश्यक होता है ।

Kachori Selling Business
Image: Kachori Selling Business

कचौरी का बिजनेस कैसे शुरू करें? (kachori Business Kaise Start Kare)

खुद का कचौरी का बिजनेस शुरू करने के लिए भी सबसे पहले आपको एक ऐसी लोकेशन का चयन करने की आवश्यकता होती है । जहाँ पर इस तरह का यह बिजनेस चलने की संभावना ज्यादा हो। इसके अलावा भी कई अन्य कदम इस बिजनेस को शुरू करने के लिए उठाने की आवश्यकता हो सकती है, जो इस प्रकार से हैं ।

कचौरी बनाने का अभ्यास करें

वैसे तो कई तरह की कचैरियां बनाई जा सकती हैं लेकिन मूंग दाल की खस्ता कचौरियां सभी जगह प्रसिद्ध हैं। यदि आप इस तरह का बिजनेस शुरू करने से पहले कचौरी बनाने की प्रक्रिया सीखना चाहते हैं, तो यह काम आप अपने घर पर से ही कर सकते हैं। क्योंकि कचौरी बनाने के लिए आपको मैदा, मूंग दाल और मसालों की आवश्यकता होती है। जिसकी उपलब्धता आपके रसोईघर में आसानी से देखी जा सकती है।

कचौरी के साथ इस्तेमाल होने वाली आलू की तरी वाली सब्जी की भी रेसिपी आपको सीखनी पड़ेगी। क्योंकि इसी सब्जी के साथ आप अपनी कचौरी को ग्राहकों सर्व करेंगे। लेकिन ध्यान रहे अभ्यास के दौरान जो भी कचौरी और सब्जी आप बना रहे होंगे। उसका स्वाद अपने परिवार के सदस्यों और पारिवारिक मित्रों को अवश्य चखाएं, और उसके बारे में उन्हें एक निष्पक्ष फीडबैक देने को बोलें। ताकि यदि कोई सुधार की जरुरत हो तो आप उसमें कर सकें।

भीड़ भाड़ वाली लोकेशन पर जगह का प्रबंध करें

यह बिजनेस ऐसा नहीं है की आप इसे कहीं भी जहाँ पर दिन में 100-50 लोग ईधर उधर जाते हों, वहीँ पर खोल लेंगे, तो चल जाएगा। बल्कि इस बिजनेस को किसी भीड़ भाड़ वाली जगह, एक स्थापित मार्किट, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, इंडस्ट्रियल एरिया इत्यादि जगहों पर खोलकर कमाई की जा सकती है।

अच्छी बात यह है की यह जरुरी नहीं है की इस बिजनेस को शुरू करने के लिए ईट सीमेंट से निर्मित कोई महंगी जगह में दुकान ही किराये पर लें। बल्कि आप एक रेहड़ी लगाने लायक जगह का प्रबंध करके भी इस तरह के बिजनेस को शुरू कर सकते हैं।

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जरुरी बर्तन और गैस चूल्हा इत्यादि खरीदें

यद्यपि कचौरी तो आप अपने घर से बनाकर भी रेहड़ी में ले जाकर बेच सकते हैं, लेकिन आपको बार बार सब्जी को गरम करने की आवश्यकता होती है। ताकि अपने ग्राहकों को आप गरमा गरम कचौरी सब्जी परोस सकें । ऐसे में आपको कई तरह के बर्तन खरीदने की आवश्यकता हो सकती है।

  • कचौरी तलने वाली बड़ी कढ़ाई।
  • मूंग दाल को भिगोने के लिए बड़ा पतीला
  • दाल को पीसने के लिए मिक्सी
  • मैदा और बेसन को गूदने के लिए बर्तन बड़ी परात या पतीले का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • मसाला तैयार करने के लिए भी एक कढ़ाई चाहिए।
  • सब्जी बनाने के लिए एक पतीला या कढ़ाई चाहिए होती है ।
  • तेल से तली हुई कचौरी निकालने के लिए एक बड़ा झारा चाहिए होता है।
  • गैस चूल्हा और सिलिंडर की आवश्यकता होती है।
  • सब्जी वितरित करने वाले चम्मचों की आवश्यकता हो सकती है ।  

कुल मिलाकर देखें तो यह सारा सामान आप जहाँ भी यह बिजनेस शुरू करने वाले हैं उस एरिया के स्थानीय मार्किट में आसानी से मिल जाता है। इसलिए आपको इस बात की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है की आप जरुरी बर्तन कहाँ से खरीदेंगे।        

जरुरी कच्चा माल खरीदें

इस बिजनेस में कच्चे माल के तौर पर वही सामग्री लगती है, जो रोज आपके रसोईघर में किसी न किसी प्रकार के खाने को बनाने में इस्तेमाल होती है। और हाँ इतना जरुर है की इसकी मात्रा इस बात पर निर्भर करेगी की आप एक दिन में कितने कचौरी बनाना चाहते हैं। इस बिजनेस को शुरू करने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की लिस्ट इस तरह से है।

  • मैदा, बेसन, तेल।
  • मूंग दाल, आलू, प्याज, टमाटर, हरा धनिया।  
  • मसालों में जीरा, धनिया, हल्दी, अमचूर पाउडर, सौंप, लाल मिर्च इत्यादि।

यह सारा का सारा सामान आपकी दैनिक आवश्यकताओं से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे आप रोज खरीदते हैं और अच्छी तरह जानते हैं की यह आपको कहाँ से खरीदना है ।   

कचौरी बनाएँ और बेचें

अब जब आपने इस बिजनेस (Kachori Selling Business) को शुरू करने के लिए सभी प्रक्रियाएं पूर्ण कर दी हैं। तो अब आपको अपने घर से कचौरी बनाकर रेहड़ी पर बेचनी होंगी, आप चाहें तो सब्जी उसी रेहड़ी पर बना सकते हैं जहाँ पर आप कचौरी बेच रहे होते हैं ।

कचौरी बनाने की प्रक्रिया तेल में पूरी तलने जैसी ही है, इसलिए इन्हें बनाने में आपको बहुत अधिक परेशानी नहीं होने वाली है। यदि एक दिन में आप केवल 500 कचौरियां भी बेच देते हैं तो अप इस बिजनेस से बढ़िया कमाई कर सकते हैं।

कचौरी कैसे बनाते हैं

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की जिस कच्चे माल का जिक्र हम इस लेख में कर चुके हैं, उस सामग्री से खस्ता कचौरी बनाने की प्रक्रिया बहुत ही आसान है। इसका स्टेप बाई स्टेप वर्णन हम यहाँ पर कर रहे हैं ।

  • सबसे पहले आपको मूंग दाल को आवश्यकतानुसार मात्रा में लेकर एक बड़े बर्तन में कम से कम तीन घंटे तक भिगोना होता है। और उसके बाद इस भीगी हुई दाल को दरदरा मोटे फॉर्म में पीस देना होता है। और इसे पीसकर एक अलग बर्तन में रख देना है ।
  • अब एक अन्य बर्तन में आपको आवश्यकतानुसार मैदा लेना होता है और लगभग ५ किलो मैदे में आप तीन चार चम्मच तेल के डाल सकते हैं। और इसमें स्वादानुसार नमक डालकर इसमें थोड़ा थोड़ा पानी मिलाकर मैदे को आटे की तरह गूदना होता है।
  • अब आपको चूल्हे पर कड़ाही रखनी होती है, और उसमें थोड़ा बहुत तेल डालकर ध्यान रहे यह तेल आपको मसाला तैयार करने के लिए डालना है न की कचौरियों ओ तलने के लिए। उसके बाद उस तेल में जीरा सौफ इत्यादि का तड़का लगाकर अन्य मसाले डालकर उसमें हल्का सा बेसन डालकर पीसी हुई दाल को डाल देना है ।
  • अब इस प्रक्रिया में उस मिश्रण को एक चम्मच से चलाते रहना हैं, और इस मिश्रण में अमचूर पाउडर डाल सकते हैं, अब जब दाल सख्त होकर थोड़ी अलग अलग होने लग जाय तो समझ लें की मसाला पक चुका है।
  • अब अगला कदम गूँदे हुए मैदे की छोटी छोटी लोई बनाने का होता है, इन्हें थोड़ा चपटा करके इनके अन्दर मसाला भरा जाता है। यह प्रक्रिया वैसे ही की जाती है जसी स्टफ पराठा बनाने के ली की जाती है । उसके बाद इन्हें छोटी छोटी पूरी के आकार में बेल दिया जाता है।
  • और अब कढ़ाई में कचौरी तलने के लिए तेल रखा जाता है, इसे अच्छी तरह गरम होने दिया जाता है। और उसके बाद पूरी की तरह कचौरियों को तेल में तला जाता है। और झारे से तेल से बाहर निकाल लिया जाता है।
  • इन कचौरियों को आलू की सब्जी के साथ खाया जा सकता है । और आलू की सब्जी बनाने की प्रक्रिया आपको पता ही होगी ।

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कचौरी बनाने में कितना खर्चा आएगा

कचौरियाँ बनाने में आने वाला खर्चा भी इस बात पर निर्भर करता है की आप एक दिन में कितनी कचौरियां बनाना चाहते हैं । यहाँ पर हम एक दिन में 300  कचौरियों को बनाने में आने वाले खर्चे की बात कर रहे हैं ।

  • 10  किलो मैदे की आवश्यकता हो सकती है 30 रूपये प्रति किलो के हिसाब से ₹300 का खर्चा आएगा ।
  • 15 किलो मूँग दाल जिसकी यदि प्रति किलो 100 रूपये भी कीमत मानें तो आपको 1500 रूपये खर्चा करने की आवश्यकता होगी।
  • सब्जी बनाने के लिए 10 किलो आलू चाहिए हो सकते हैं जिनकी 20 रूपये किलो के हिसाब 200 रूपये की आवश्यकता होगी।
  • इसके अलावा मसालों और अन्य सब्जियों का खर्चा आप 500 रूपये मान के चल सकते हैं।
  • जिस जगह पर आप कचौरी बेचने का बिजनेस कर रहे हैं 300 रूपये प्रति दिन उसका किराया मान के चल सकते हैं। प्रतिदिन 200 रूपये गैस का खर्चा मान के चल सकते हैं।
  • आपको कम से कम एक कर्मचारी की आवश्यकता होगी यदि उसकी दिहाड़ी 500 रूपये मान के चलते हैं, तो 500 प्रतिदिन आपको इस काम के लिए भी चाहिए होते हैं।

इस तरह से देखें तो प्रतिदिन 300 कचौरी बेचने का बिजनेस करने के लिए आपको ₹3500 रूपये खर्चा करने की आवश्यकता होती है। हालांकि इसमें बर्तनों इत्यादि को खरीदने में आने वाली वन टाइम कास्ट शामिल नहीं है ।

कचौरी के बिजनेस से कितनी कमाई होगी     

कमाई भी इसी बात पर निर्भर करती है की आप अपनी कचौरी कितने रूपये प्लेट बेचते हैं, आम तौर पर बाज़ार में दो कचौरी और आलू की सब्जी ₹30 में मिल जाती है। इस हिसाब से आप एक कचौरी का मूल्य ₹15 मान के चल सकते हैं। और यदि आप दिन के 300 कचौरी बेचते हैं तो आपकी कुल कमाई ₹4500 होती है। जिसमें से यदि आपका शुद्ध लाभ निकालने के लिए हम निम्न समीकरण का इस्तेमाल कर सकते हैं।

शुद्ध लाभ = कुल कमाई – कुल खर्चे

4500 – 3500 = ₹1000

इस तरह से देखें तो अप कचौरी बेचने का बिजनेस शुरू करके भी ₹1000  प्रतिदिन कमा सकते हैं।  

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