बिजनेस के लिए क्राउडफंडिंग से पैसे कैसे जुटाएँ। Crowdfunding in Hindi.

भारत में भले ही क्राउडफंडिंग नामक यह अवधारणा आपको नई लगती हो। लेकिन पश्चिमी देशों में यह काफी सालों से चली आ रही है। लेकिन भारत में भी धीरे धीरे यह गति पकड़ रही है, क्योंकि यह लोगों की विभिन्न उद्देश्यों के लिए फंडिंग की समस्या का समाधान करती है। हालांकि कोई व्यक्ति चाहे तो अपने व्यक्तिगत खर्चों जैसे अच्छी शिक्षा, ईलाज इत्यादि के लिए भी इससे फण्ड जुटा सकता है। लेकिन हम यहाँ पर बिजनेस के लिए फण्ड जुटाने के बारे में बात कर रहे हैं।

जब आप कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो आपको उसे शुरू करने के लिए काफी सारे धन की आवश्यकता हो सकती है। हो सकता है कुछ धन आपके पास पड़ा हो, लेकिन वह उतना नहीं हो जितना आप चाहते हैं, परिवार, दोस्तों इत्यादि से भी मदद नहीं मिल पा रही हो। तो ऐसे में उद्यमी किसी वित्तीय संस्थान या एंजेल इन्वेस्टर की तलाश में रहता है, जो उसे उसका बिजनेस शुरू करने के लिए धन दे सके।

लेकिन अक्सर देखा गया है की बैंक या वित्तीय संस्थान बिना किसी कोलेटरल या सिक्यूरिटी के ऋण देने से इंकार कर देते हैं। और कभी कभी निवेशकों को बिजनेस में पैसा लगाने के लिए मनाना भी काफी मुश्किल होता है। ऐसे में उद्यमी चाहे तो क्राउड फंडिंग से फण्ड जुटाने के लिए प्रयत्न कर सकता है।

crowdfunding kya hai

एक आंकड़े के मुताबिक भारत में जितने भी स्टार्टअप या बिजनेस शुरू होते हैं, उनमें से केवल 2% स्टार्टअप ही निवेशकों के माध्यम से पैसा जुटाते हैं। इनमें एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे न बैंक, न वित्तीय संस्थान, न ही निवेशक पैसे देने के लिए राजी होते हैं, जो हमेशा पैसे से जूझते रहने के कारण अपने व्यवसाय को उस स्तर तक नहीं ले जा पाते, जहाँ तक ले जाने की उनकी योजना होती है। ऐसे में इन उद्यमियों के लिए इस सिस्टम से पैसे जुटाना काफी राहत देने वाली बात हो सकती है।

क्राउडफंडिंग क्या है (What is Crowdfunding in Hindi)               

इसे यदि हम साधारण भाषा में समझने की कोशिश करें, तो यह भीड़ द्वारा एकत्रित पैसा होता है। कुछ लोगों को लगता है की इससे जो पैसा एकत्रित किया जाता है, उसे वापस नहीं करना पड़ता है। जो की सच नहीं है, सिर्फ उस पैसे को वापस नहीं देना पड़ता जिसे लोगों ने दान स्वरूप दिया हो।

जैसे यदि किसी के बच्चे को कोई गंभीर बीमारी है, और उसके पास उसके ईलाज के लिए पैसे नहीं है। और वह क्राउड फंडिंग प्लेटफोर्म पर एक कैंपेन बनाता है, जिसमें वह लोगों से अपने बच्चे की जान की भीख मांगकर पैसे दान करने का आग्रह करता है। तो इस स्थिति में जो पैसा एकत्रित होगा उसे वापस करने की आवश्यकता नहीं होगी।

लेकिन जो लोग बिजनेस या किसी स्टार्टअप के लिए फण्ड प्रदान करते हैं, उनकी अपेक्षा प्रदान किए गए फण्ड से लाभ कमाने की होती है। इसलिए वे आशा करते हैं की जब स्टार्टअप या बिजनेस कमाई करने लग जाय तो उनके पैसे ब्याज सहित वापस कर दिए जाएँ। या फिर वे बिजनेस में इक्विटी या शेयरों की माँग भी कर सकते हैं।   

भारत में बहुत सारी क्राउडफंडिंग वेबसाइट हैं, इनमें से कुछ लोकप्रिय वेबसाइट में किकस्टार्टर, विशबेरी, इंडिगोगो, फ्यूलएड्रीम, फंडेबल, केटो, कैटापूल्ट और मिलाप इत्यादि शामिल हैं । यद्यपि भारत में अभी पश्चिमी देशों की तुलना में इस प्रथा का चलन बेहद कम है। लेकिन जिस रफ़्तार से यह प्रचलित एवं लोकप्रिय हो रहा है उस आधार पर आंकड़े जल्दी बदल सकते हैं।

क्राउडफंडिंग काम कैसे करती है (How does Crowdfunding System Work):

क्राउडफंडिंग कैसे काम करती है को समझने से पहले इसके मॉडल को समझना आवश्यक है। अर्थात लोग किस किस मॉडल के तहत इस सिस्टम से पैसे जुटाते हैं, यह समझना आवश्यक है।

डोनेशन मॉडल (Crowdfunding Donation Model)

यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की यहाँ पर जिस व्यक्ति द्वारा Campaign तैयार किया जाता है वह डोनेशन माँगने के लिए किया जाता है। और इस कैंपेन के लिए जो डोनेट करते हैं, उनकी इस परियोजना से कोई उम्मीदें नहीं होती हैं। अर्थात वे मनुष्यता, दया भावना जैसी भावनाओं के तहत पैसे दान कर रहे होते हैं। इसलिए उन्हें अपने दान किये गए पैसों से कोई लाभ कमाने की मंशा नहीं होती है।

उधार देने का मॉडल (Crowdfunding Loan Model)  

इस मॉडल के तहत कैंपेन तैयार करने वाला व्यक्ति वह सब कुछ इस कैंपेन में पहले ही लिखता है। की यदि कोई व्यक्ति उसके प्रोजेक्ट को पैसे प्रदान करता है, तो एक निश्चित समयावधि के बाद उसे क्या क्या लाभ हो सकते हैं। और इसमें फण्ड की मात्रा का भी निर्धारण होता है। इसलिए इस तरह के मॉडल के तहत व्यक्ति उल्लेखित शर्तों एवं नियमों के तहत उसके पैसे चुकाए जाने की मंशा को लेकर प्रोजेक्ट को पैसे उधार देता है।

ईनाम आधारित मॉडल   

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस मॉडल के तहत कैंपेन बनाते वक्त व्यक्ति कोई एक ईनाम या धन की मात्रा के आधार पर कई ईनाम निर्धारित करता है। जैसे किसी ने सौ रूपये दिए तो उसे कुछ और ईनाम और किसी ने पाँच सौ दिए तो उसके लिए कुछ और ईनाम। इस प्रोजेक्ट को लोग ईनाम पाने की लालसा में पैसे देते हैं।

निवेश मॉडल (Crowdfunding investment model)

निवेश मॉडल के तहत कैंपेन वे तैयार करते हैं, जो खुद का स्टार्टअप या बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। या फिर पहले से कोई बिजनेस या स्टार्टअप चला रहे होते हैं। इसमें वे अपने प्रोजेक्ट में पैसे लगाने के बदले लोगों को इक्विटी ऑफर कर रहे होते हैं। हालांकि भारत में अभी इस तरह की क्राउड फंडिंग आम नहीं है, यही कारण है की स्टार्टअप और बिजनेस इकाइयों को एंजेल इन्वेस्टर और वेंचर कैपिटलिस्ट के निर्धारित शर्तों पर ऋण लेना पड़ता है।               

क्राउडफंडिंग के फायदे (Benefits of Crowdfunding in Hindi):

इस प्रणाली के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं।   

  • कोई भी बिजनेस शुरू करना बेहद जोखिम भरा होता है, लेकिन यह प्रणाली उद्यमी को इन जोखिम से बचाती है। क्योंकि इसके माध्यम से जरुरत पड़ने पर उद्यमी एक अच्छी खासी रकम का प्रबंध कर लेता है।
  • क्राउडफंडिंग के कुछ मॉडल ऐसे भी हैं जिनके तहत बिना इक्विटी दिए और बिना ऋण लौटाए भी फण्ड एकत्रित किया जा सकता है। इसलिए यह इक्विटी की बचत करने में भी मददगार है।
  • जब एक उद्यमी अपना क्राउडफंडिंग अभियान बनाकर उसे पब्लिश करता है, तो वह बाज़ार के विशेषज्ञों से लेकर एक बड़ी जनता तक पहुँचता है। इसलिए यह फ्री वाला मार्केटिंग टूल की भूमिका भी अदा करता है।
  • उद्यमी अपने उद्यम को सबसे ज्यादा चिंता में इस बात को लेकर रहता है की निवेशक उसके उद्यम के बारे में क्या सोचते होंगे । लेकिन Crowdfunding Campaign बनाकर उद्यमी इस बात का पता आसानी से लगा सकता है की निवेशक उसके व्यवसाय के बारे में क्या सोचते हैं।
  • होता क्या है की जब उद्यमी कोई क्राउडफंडिंग अभियान चलाता है, तो वह मार्किट के एक्सपर्ट से लेकर सामान्य लोगों तक पहुँचता है, और लोग उसमें अपनी प्रतिक्रियाएँ देते हैं। जिनके आधार पर उद्यमी अपने विचार पर दुबारा से मंथन कर सकता है।
  • ऐसे लोग जो क्राउड फंडिंग अभियान को देखकर उसमें पैसे दान करते हैं वे उद्यमी के संभावित लॉयल कस्टमर हो सकते हैं।
  • क्राउड फंडिंग वेबसाइट में अभियान बनाना और उसे पब्लिश करना बेहद ही आसान है। जबकि बैंक या वित्तीय संस्थान से ऋण लेने के लिए आपको कई थकाऊ कार्यों को पूर्ण करने की आवश्यकता होती है।
  • सबसे बड़ा फायदा यह है की क्राउडफंडिंग अभियान बनाने के लिए आपको एक रुपया भी खर्चा करने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन जुटाए गए फण्ड पर शुल्क अवश्य लिया जाता है।   

क्राउडफंडिंग से पैसे कैसे जुटाएँ (How to raise fund from crowdfunding)    

भले ही क्राउडफंडिंग प्लेटफार्म में Campaign बनाना आसान हो, लेकिन क्या इतनी ही आसानी से इससे पैसे भी जुटाए जा सकते हैं। जी नहीं, क्राउडफंडिंग से पैसे जुटाना भी कोई आसान काम बिलकुल नहीं है।

ध्यान रहे की लोग अपनी बचत से एक रुपया देने में भी सौ बार सोचते हैं, तो आपके प्रोजेक्ट में ऐसी क्या खासियत है की वे आपको अपने बचाए हुए पैसे में से कुछ दे दें। यहाँ पर हम क्राउडफंडिंग से पैसे जुटाने के लिए अपनाये जाने वाले कुछ प्रभावशाली क़दमों के बारे में बात कर रहे हैं, तो आइये जानते हैं ये प्रभावशाली कदम कौन कौन से हैं।

सही क्राउडफंडिंग प्लेटफोर्म का चुनाव करें  

जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की भारत में भी कई लोकप्रिय क्राउडफंडिंग प्लेटफोर्म में KickStarter, Wishberry,indiegogo, FuelAdream, fundable, Ketto, Catapoolt, Milaap इत्यादि शामिल हैं। लेकिन इसके बावजूद भी भारत में अधिक Crowdfunding अभियान असफल हो जाते हैं, और जिन्होंने यह अभियान चलाये होते हैं, उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं होता है।

हो सकता है की भारत के लिए यह प्रणाली नई है इसलिए इसमें अधिकतर लोग सफल नहीं हो पा रहे हैं। लेकिन इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है की क्राउडफंडिंग प्लेटफोर्म को प्रोजेक्ट बनाने वाले लोगों की प्रोजेक्ट बनाने में मदद करनी चाहिए।

यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह भी है की अलग अलग platform की अलग अलग विशेषज्ञता हो सकती है। जैसे डोनेशन मॉडल के लिए कोई और तो इक्विटी मॉडल के लिए कोई और प्लेटफोर्म उचित हो सकता है। इसलिए जो लोग खुद का अभियान बनाना चाह रहे हों, सबसे पहले उन्हें अपनी आवश्यकता के मुताबिक सही क्राउडफंडिंग प्लेटफोर्म का चुनाव करना चाहिए।

अपने क्राउडफंडिंग प्रोजेक्ट के लिए सही विडियो बनाएँ    

भारत में अधिकतर लोगों को लगता है की वे इससे पैसा इकट्ठा करके रातों रात लखपति बन जाएँग, जो की एकदम झूठ है। जो भी उद्यमी अपने बिजनेस के लिए पैसे एकत्रित करने की सोच रहा है, उसे भारत के लोगों की मानसिकता और मनोविज्ञान का ज्ञान होना भी आवश्यक है।

यहाँ पर समझने वाली बात यह है की, भारतीय देने में समर्थ भी हैं और उन्हें देना पसंद भी है। लेकिन वे अपने पैसे किसी सामूहिक प्रतिष्ठान जैसे एनजीओ, मंदिरों इत्यादि में दान करना पसंद करते हैं न की किसी व्यक्तिगत व्यक्ति को।

व्यक्तिगत व्यक्ति को यदि सौ रूपये देने की भी बात आयेगी, तो वे सौ बार सोचेंगे। ऐसे में यदि आप अपने प्रोजेक्ट का एक अच्छा सा विडियो बना लेते हैं, जिसमें आप यह बता रहे हैं की लोगों को उन्हें पैसे क्यों देने चाहिए? और उन्हें पैसे देकर उनका, समाज का क्या फायदा होने वाला है। लोगों में और अधिक विश्वास पैदा करने के लिए अपने पिछले कामों के बारे में भी लोगों को बताएं और दिखाएँ।

प्रोजेक्ट का विस्तृत विवरण दें  

एक अध्यन में पाया गया की भारतीय जो क्राउड फंडिंग वेबसाइट में खुद का अभियान चलाते हैं, वे अपने प्रोजेक्ट के बारे में दो या तीन लाइन या फिर बहुत से बहुत 1-2 पैराग्राफ लिखते हैं। ऐसे में इतना कम विवरण पाकर लोग उस व्यक्ति को उसके प्रोजेक्ट के बारे में गंभीर नहीं समझते हैं।

एक ऐसा निवेशक जो आपके प्रोजेक्ट से लाभ कमाने की उम्मीद या फिर समाज में कुछ बदलाव लाने की उम्मीद लगाये बैठा है, वह कभी भी इतने से विवरण से प्रभावित नहीं होता है। वह आपके प्रोजेक्ट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता है।

इसलिए उद्यमी जो क्राउड फंडिंग के जरिये अपने बिजनेस के लिए पैसे जुटाना चाह रहा हो उसे अपने प्रोजेक्ट के बारे में लम्बा विवरण लिखने की आवश्यकता होती है। विवरण लिखित होने के साथ साथ जरुरी ग्राफ़िक्स, चित्र इत्यादि से भी सुसज्जित होना चाहिए।

ईनाम निर्धारित करें  

जब आप एक उद्यमी के तौर पर खुद का campaign तैयार करते हैं, तो भारत में आपके प्रोजेक्ट के लिए आपको जो पैसे दे सकते हैं वह है मध्यम वर्ग। क्योंकि यहाँ उच्च वर्ग की इतनी जनसँख्या है नहीं और आर्थिक रूप से निम्न वर्ग पैसे देने में अक्षम है। इसलिए अधिकांश जनता जो आपके प्रोजेक्ट को फण्ड करेगी, वह मध्यम वर्ग से जुड़ी हो सकती है। वह भी बहुत से बहुत अपनी मासिक बचत का 5% से अधिक हिस्सा नहीं देगी।

आप अपने अभियान में पैसे देने के लिए अधिक से अधिक लोगों को आकर्षित करने के लिए कुछ ईनाम निर्धारित कर सकते हैं। इनमें कोई छोटे पर्सनलाइज्ड गिफ्ट जैसे आपके प्रोडक्ट में किसी सेलेब्रिटी का हस्ताक्षर किया हुआ और सेलेब्रिटी से मिलाने का वादा इत्यादि कर सकते हैं।

अपने अभियान को सही लोगों तक पहुँचाएँ   

हम पहले भी बता चुके हैं की भारत में यह प्रणाली नई है, इसलिए अधिकतर लोग इस प्रणाली से अंजान है। यदि आप अंजान लोगों से यह अपेक्षा कर रहे हैं, की वे आपके प्रोजेक्ट के लिए पैसे दे देंगे तो यह सही नहीं है। ऐसे में आप चाहें तो अपने जानकारों, दोस्तों, परिचितों की एक लिस्ट तैयार कर सकते हैं, और उन्हें ईमेल, फोन इत्यादि के माध्यम से अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताकर कंट्रीब्युट करने को कह सकते हैं।

यदि वे आपके प्रोजेक्ट में कंट्रीब्युट नहीं कर सकते, तो सोशल मीडिया में उनसे उनके प्रोजेक्ट के बारे में दो शब्द कहकर शेयर करने को कहें। उद्यमी चाहे तो सही लोगों तक पहुँचने के लिए गूगल एड इत्यादि का भी इस्तेमाल कर सकता है।

भारत में भी यदि लोग और निवेशक क्राउड फंडिंग के बारे में जागरूक हो जाते हैं तो यह आने वाले समय में स्टार्टअप के लिए पैसे जुटाने का एक बढ़िया तरीका हो सकता है। भारत में क्राउडफंडिंग के जरिये पैसे जुटाने के लिए यह जरुरी नहीं है की आपको इक्विटी गँवानी पड़ें। कभी कभी इसके माध्यम से आपको बिना इक्विटी गवाएं भी पैसे प्राप्त हो सकते हैं।

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